Wednesday, August 24, 2011

क्या टीम अन्ना इस देश को बताएगी कि.....???

न्यूज चैनलों की भारी-भरकम बैंड पार्टियों की जोरदार गूँज से सजी "लोकपाली" बरात आज अपने गन्तव्य तक पहुँच जायेगी. फिलहाल यही संकेत मिल रहे है. वैसे बारातें कभी समय से नहीं पहुँचती इसलिए थोड़ी-बहुत देर भी सम्भव है. NDTV और IBN7  सरीखे "सत्यनिष्ठ" "निष्पक्ष" तथा घनघोर "कांग्रेस विरोधी" , विशेष रूप से "सोनिया-राहुल विरोधी" चैनलों ने भी कल रात से ये बताना शुरू कर दिया है कि टीम अन्ना कि मांगो को मनवाने में सोनिया द्वारा प्रधानमंत्री को भेजे गए "आदेश" और राहुल गांधी "जी" द्वारा दी गयी सलाह ने ही इस समझौते की शरुआत में मुख्य भूमिका निभायी है. 

ज्ञात रहे कि कल रात ही में टीम अन्ना ये कह चुकी है कि सरकार के साथ जिन 6 मुद्दों पर उसका मतभेद था उनमे से तीन मुद्दों पर सरकार ने टीम अन्ना की बातें मान ली है और बाकी की तीन बातें भी "थोड़ी" कांट -छांट के बाद आज मान लिए जाने की संभावना है. फिलहाल उन 6 मुद्दों , उनको लेकर हुए समझौते पर, इन संभावनाओं के पूरा होने तक कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता. लेकिन हाँ जिन पर कोई विवाद नहीं उस पर कुछ कहना जरूर चाहता हूँ....... 

ज़रा ध्यान दीजिये कि 16 अगस्त को अनशन शुरू होने के पहले से ही टीम अन्ना ये कह रही थी कि सरकार ने जो लोकपाल बिल बनाया है वो "टॉयलेट पेपर" की तरह है. रद्दी की टोकरी में फेंक देने लायक है. उस लोकपाल से भ्रष्टाचार घटने के बजाय बढ़ेगा, ऐसे न जाने कितने आरोप लगाते हुए टीम अन्ना ने सरकार के उस लोकपाल को "जोकपाल" की ही उपमा दे डाली. टीम अन्ना का ये प्रचार मीडिया के अंध समर्थन के कन्धों पर खूब उछला. विपक्षी दलों ने भी बहती गंगा में जमकर हाथ धोते हुए "जन लोकपाल" की तुलना में सरकारी लोकपाल को लिजलिजा-पिलपिला और ना जाने क्या-क्या कह डाला, विपक्षियो के ऐसे किसी भी बयान पर टीम अन्ना के नथुने और सीने तो फूले हुए दिखते ही रहे, न्यूज चैनलों ने भी इसी सुर में सुर मिलाया. कुल मिलाकर देश में एक जबर्दस्त माहौल बना कि सरकार के लोकपाल से किसी का कोई भला नहीं होने वाला. इस पूरे घटनाक्रम को सारे देश ने देखा और सुना है.

मैं अब कुछ और भी याद दिलाना चाहूँगा. सरकारी लोकपाल का मसविदा सार्वजानिक होने के बाद से ही इसी टीम अन्ना ने मीडिया में यह भी कहना शुरू किया था कि हमारे जन लोकपाल के कुल 40 प्रावधानों में से सरकार ने 34 प्रावधानों को सरकारी लोकपाल में शामिल कर लिया है, केवल 6 प्रावधानों पर हमारा मतभेद है. टीम अन्ना के इस दावे की पुष्टि सरकार ने भी सार्वजनिक रूप से की थी. यानी कि खुद टीम अन्ना के अनुसार सरकार ने उसके जन लोकपाल बिल के 85% प्रावधानों को मान लिया था. 15% प्रावधानों को नही माना था. अर्थात "टॉयलेट पेपर" और "रद्दी कि टोकरी में फेंक दिए जाने लायक" (खुद टीम अन्ना के ही अनुसार) उन 34 प्रावधानों पर दोनों पक्ष एक दूसरे से सहमत थे....!!!!!!!!  आश्चर्यजनक के साथ ही साथ हास्यास्पद तथ्य यह भी  है कि वे 34 प्रावधान खुद टीम अन्ना द्वारा ही रचे-गढ़े गए थे.....!!!!!!! यानी कि जिस "जन लोकपाल" के द्वारा देश की तकदीर बदलने, देश को दूसरी आज़ादी दिलवाने का दावा जो टीम अन्ना पिछले 5 महीनों से कर रही है खुद उसी टीम अन्ना के अनुसार उस "जन लोकपाल" बिल के 85% प्रावधान "टॉयलेट पेपर" और "रद्दी की टोकरी में फेंक देने" के समान हैं.अतः   

(1) क्या टीम अन्ना इस देश को बताएगी कि उसने कुल 40 प्रावधानों वाले अपने जन लोकपाल बिल में "टॉयलेट पेपर" और "रद्दी कि टोकरी में फेंक दिए जाने लायक"  34 प्रावधानों को क्यों शामिल किया था.

(2) क्या टीम अन्ना इस देश को बताएगी कि उसने कुल 40 प्रावधानों वाले अपने जन लोकपाल बिल में "टॉयलेट पेपर" और "रद्दी कि टोकरी में फेंक दिए जाने लायक"  34 प्रावधानों से देश की जनता का क्या और कैसा भला करने की सोची थी...?

(3) क्या टीम अन्ना इस देश को बताएगी कि उसने कुल 40 प्रावधानों वाले अपने जन लोकपाल बिल में "टॉयलेट पेपर" और "रद्दी कि टोकरी में फेंक दिए जाने लायक"  34 प्रावधान किस मूर्ख या धूर्त व्यक्ति की सलाह और बुद्धिमत्ता के सहारे बनाये थे.

(4) क्या टीम अन्ना इस देश को बताएगी कि उसने कुल 40 प्रावधानों वाले अपने जन लोकपाल बिल में "टॉयलेट पेपर" और "रद्दी कि टोकरी में फेंक दिए जाने लायक"  34 प्रावधानों को किस मजबूरी में शामिल किया था.

(5) क्या टीम अन्ना इस देश को बताएगी कि उसने कुल 40 प्रावधानों वाले अपने जन लोकपाल बिल में "टॉयलेट पेपर" और "रद्दी कि टोकरी में फेंक दिए जाने लायक"  34 प्रावधानों को किसकी आँखों में धूल झोंकने के लिए तैयार किया था...?

(6) क्या टीम अन्ना इस देश को बताएगी कि उसने कुल 40 प्रावधानों वाले अपने जन लोकपाल बिल में "टॉयलेट पेपर" और "रद्दी कि टोकरी में फेंक दिए जाने लायक"  34 प्रावधानों पर सरकार से अपनी सहमति क्यों जतायी थी.?

स्पष्ट कर दूं की भ्रष्टततम  सरकार के लोकपाल बिल और इन सफेदपोशों के जन लोकपाल बिल की नूरा कुश्ती का काला सच सामने ला रहे हैं ये सवाल.  मेरे विचार से ये सवाल सारी नूरा कुश्ती की कहानी स्वयम कह रहे हैं. लेकिन इस कहानी का क्लाइमेक्स अभी बाक़ी है, ज़रा उन 6 मुद्दों पर भी फैसला होने दीजिये........

(मूल लेखक सतीश चन्द्र मिश्रा )

2 comments:

  1. देख लो हिन्दओ !!!
    60 साल में ही तुमने क्या दुर्गत बना दी है देश की।
    कहते थे कि गुलाम वंश ने ये किया और मुगल वंश ने वह किया।
    गजनवी ने अमुक जुलम ढाया और अंग्रेजो ने जलिया वाला बाग बना दिया परंतु हिन्दुओ ने जब शासन किया तो कितने क्विंटल हिन्दू मारे ?
    कोई तौलने वाली मसीन तौल नहीं सकती।।।
    अब तो बंद कर दो बेकार का राग और बन जाओ

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  2. Mr. manhoos naam ke hi nahi kam ke bhi manhoos hi ho. For your kind information Bharat ka itihas lakho varsh purana hai. Tum 1300-1400 saalo me kya kaddu me teer maar diye ho sivaye Hinduo par julm dhane ke. Or yah bhi bata do ke jin marne vaale hinduo ki tum baat kar rahe ho vo kis tarah maare gaye?? Atankvad kahan hai mere ghar me to nahi hai?? Haram Khoro tumhare aane se pahle ka Bharat dekh loge to aankhe phati rah jayengi. Or rahi aaj ke dor ki baat ab se 15 saal baad baat karna. Vaise bhi itna vikas to in bhrast logo ne hi kar dikhaya 60 saalo me jis din dharmik or aadhyatmik log aa jayenge na to tum jaise to muh dikhane ke kabil bhi nahi rahenge. Ab bhi samay hai band kar do bekar ka rag or ban jao hindu!!! Understand, you better understan.

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