Friday, December 21, 2012

मोमबतिया फूकने दरिंदो की दरिंदगी नहीं रुकेगी

23 वर्षीय दामिनी (परिवर्तित नाम )
द्वारका मोड़ जाने के लिए अपने एक मित्र के
साथ बस का इन्तेज़ार कर रही थी ,
तभी एक स्कूल बस उन्हें देखकर रूकती है और
बस का ड्राईवर राम सिंह उन्हें बुलाता है | बस में सभी शीशों पर काले परदे लगे हुए थे
तथा यह बस सामान्य ट्रांसपोर्ट के इस्तेमाल के
लिए नहीं थी पर जल्दी की वजह से
वो दोनों बस में चढ़ गए | बस में पांच और लोग मौजूद थे , बस में चढ़ने के
बाद दामिनी के मित्र के सर पे लोहे की रोड़
से वार किया गया और उसे चलती बस से बाहर
फेंक दिया गया | उसके बाद उन सब ने बारी बारी से उस मासूम
का बलात्कार किया और बस को दिल्ली एन
सी आर की पौश कॉलोनियों में घुमाते रहे| बुरी तरह से बलात्कार करने के बाद उनमे से एक
दरिंदे ने बेहद दर्दनाक तरीके से वही लोहे
की रोड़ दामिनी के गुप्त अंग में घोंप
दी जो पूरी योनी मार्ग को चीरती हुई पेट तक
जा घुसी और खून का गुबार फूट पड़ा | ये शैतान यहां भी नहीं रुके ,
इस अधमरी लहू लुहान हालत में इन नर
पिशाचों ने उसे चलती बस से बाहर फ़ेंक
दिया | खून से लथ पथ वो मासूम नग्न अवस्था में पूरे
एक घंटे तक सड़क पर पड़ी तडपती रही पर
किसी ने भी उठाने या ढंकने का प्रयास
नहीं किया ,
जब पुलिस आई तब भी किसी ने पुलिस
का भी सहयोग उसे उठाने में नहीं किया , क्यों कि न वो उनमे से किसी की बहन थी न
बेटी और आज वही लोग टीवी पर पोपकोर्न
खाते हुए खबरे देख देख कर आंसू बहा रहे हैं,
तो कोई मोमबत्ती हाथ में लेकर इवेनिंग वाक
पर निकल रहा है ............... ............... ............... ....
उस मासूम बच्ची की , छोटी आंत और बड़ी आंत पूरी तरह से नष्ट हो चुकी है,
तथा वो अब जीवन पर्यंत न कुछ खा सकती है
न शादी शुदा जीवन व्यतीत कर सकती है , न
कभी माँ बन सकती है|
दामिनी का ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर
का कहना है "मैं बयां नहीं कर सकता इस बच्ची ने
क्या झेला है, बताते हुए मेरी जुबां काँप जायेगी " चलती बस में से फेंकने के कारण
उसकी पसलिया भी टूट चुकी है और वो अब
तक 5 बार कोमा में जा चुकी है , होश में आते
ही रोने लगती है और सिर्फ यहि बात
बोलती है ..... "मेरे साथ जो हुआ वो किसी को मत बताना, मैं
जीना चाहती हूँ "
अब उस को क्या पता न्यूज़
चैनेलों की टी आर पी उसी की
वजह से आसमान
छू रही है !!!!!!!!!!! ये क्यों हुआ , क्यों हो रहा है , क्यों बढ़ रहा ,
कौन जिम्मेदार है ,ये बहस जारी है, पर हकीकत यही है सच कोई स्वीकार नहीं
करेगा, न कोई सख्त कानून बनेगा. जैसे ही मामला ठंडा होगा मीडिया से न्यूज़
आउट होगी लोग मोमबती जलना भी छोड़ देंगे क्यूँकी मोब्बती फुकने का उद्श्ये
मुद्दे का हल नहीं बस इस इस्सू पर हमने कुछ किया यही आत्म संतुस्थी इससे
ज्यादा कुछ नहीं................
बलात्कारी पहले भी फायदे में थे और इस केस में भी फायदे में रहेंगे मौत की सजा मामूली है इस केस के अपराधीयो के साथ बिलकुल वही किया जाए जो उन्होंने उस लडकी के साथ किया...........और उसके बाद भी जिन्दा रहते है तो खोलते तेल में डालकर ताल दिया जाए और चील कोवो को खाने के लिए दे दिया जाए........

Saturday, November 10, 2012

जानिए कौन है ये अनु टंडन ?



जानिए कौन है ये अनु टंडन ? इनके पति संदीप टंडन की रहस्यमय ढंग से स्विट्जरलैंड में मौत क्यों हुई ? सिर्फ बीएससी पास अनु को मुकेश अंबानी ने आठ हजार करोड़ की पूजी लगाकर एक सोफ्टवेयर कम्पनी मोटेक क्यों दे दिया ? आखिर लगातार घाटे के बावजूद भी मुकेश अंबानी इस कम्पनी को क्यों चलाते रहे ? संदीप टंडन जिस कम्पनी के छापा मारे उसकी कम्पनी के निदेशक कैसे बन गये ? फिर वो मुंबई के बजाय जयूरिख क्यों रहते थे ?

देश की जनता इन सवालों का जबाब गाँधी खानदान से चाहती है ..

१-आखिर अनु टंडन जिसने सिर्फ दो दिन पहले ही कांग्रेस ज्वाइन किया उसे राहुल गाँधी ने सांसद का टिकट क्यों दिया ? और अगर टिकट दिया तो उन्नाव में राहुल गाँधी ने अनु को जिताने के लिए एडी चोटी का जोर क्यों लगाया ?

२- रिलाएंस ग्रुप पर छापा मारने वाले संदीप टंडन के इशारे पर पूरी केंद्र सरकार और गाँधी परिवार क्यों उनके कदमो में गिर जाता था ? आखिर संदीप टंडन ने मुकेश अंबानी के ठिकानो और एचएसबीसी बैंक पर छापे के दौरान ऐसी कौन कौन से दस्तावेज बरामद किये जिससे गाँधी परिवार संदीप टंडन के इशारे पर नाचता रहा ?

३- आखिर संदीप टंडन की स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख में हुई रहस्यमय मौत की जाँच क्यों नही हुई ? एक कांग्रेसी सांसद और उपर से राहुल गाँधी के कोर कमेटी का मेबर अनु टंडन के पति की रहस्यमय मौत पर केंद्र सरकार और कांग्रेस खामोश क्यों ?

४- आखिर संदीप टंडन साल में आठ महीने स्विट्जरलैंड में क्यों रहते थे ? उन्होंने वहा घर भी ले रखा था |जब वो रिलाइएन्स में निदेशक के पद पर थे तब वो अपने ऑफिस में रहने के बजाय स्वित्जेर्लैंड में क्यों रहते थे ?

५- छुट्टियाँ मनाने के बहाने बार बार राहुल गाँधी, राबर्ट बढेरा और खुद सोनिया गाँधी बार बार संदीप टंडन के पास ज़ियुरिख स्वीतजरलैंड क्यों जाते थे ?

६-स्विट्जरलैंड स्थित भारतीय दूतावास आनन फानन में संदीप टंडन के शव को भारत क्यों भेज दिया ? जब उनकी मौत प्राकृतिक नही थी तब उनके शव का पोस्टमार्टम क्यों नही किया गया ?

मित्रों, जब लोकसभा चुनावो में कांग्रेस ने उन्नाव से अनु टंडन को टिकट दिया तब यूपी कांग्रेस की अध्यछ और उन्नाव जिले के कांग्रेस अध्यछ तक को नही मालूम था की ये अनु टंडन कौन है ? राहुल गाँधी ने यूपी कांग्रेस के पदाधिकारियो से कहा की ये अनु टंडन हर हाल में जितनी चाहिए इसके लिए कुछ भी करना पड़े |

मित्रो, शाहरुख़ खान, सलमान खान से लेकर रवीना, कैटरिना आदि बालीयुड के सैकड़ो सितारे उन्नाव में अनु टंडन के प्रचार के लिए आये |

मित्रो, अनु टंडन के पति संदीप टंडन इंडियन रेवेन्यु सर्विस के अधिकारी थे .. ये उस टीम में शामिल थे जिस टीम ने रिलाएंस ग्रुप पर छापा मारा था .. फिर मजे की बात ये है की छापे के कुछ महीनों के बाद ही नाटकीय ढंग से ये सरकारी नौकरी छोडकर रिलाएंस इंडस्ट्रीज के बोर्ड में शामिल हो गये . जबकि ये गलत था |

और तो और इनकी पत्नी अनु टंडन जो सिर्फ बीएससी [बायो] पास थी और जिनके पास कोई अनुभव तक नही था ..उनको मुकेश अंबानी ने अपनी सोफ्टवेयर कम्पनी मोतेफ़ का सर्वेसर्वा बना दिया . आखिर क्यों ?

मित्रो, असल में संदीप टंडन ने छापे के दौरान कई ऐसे कागजात और सुबूत बरामद किये थे जिससे पता चलता था की गाँधी खानदान के कालेधन को मुकेश अंबानी सफेद कर रहे है | असल में अमेरिका और भारत सहित कई देशो में स्विस बैंको के खिलाफ गुस्सा फैला है और स्विस सरकार अमेरिका, जर्मनी सहित कई देशो से संधि कर चुकी है की वो अपने यहाँ जमा कालेधन का ब्यौरा देगी | इससे गाँधी खानदान ने अपने कालेधन को निकालकर मुकेश अंबानी को देकर उसे सफेद करने में जुट गया |

देश की कई एजेंसिओ को भनक लगी की मुकेश अंबानी हवाला में माध्यम से दुबई से कालाधन अपनी कम्पनी में कमिशन लेकर सफेद कर रहे है तो डीआरआई ने मुकेश अम्बानी के ठिकानो पर अचानक छापा मारा जिसका नेतृत्व संदीप टंडन कर रहे थे | फिर मुकेश अंबानी और गाँधी परिवार ने मुंहमांगी कीमत देकर संदीप टंडन को ही खरीद लिया |

मित्रो, सोचिये एक बड़ा सरकारी अधिकारी जिस कम्पनी पर छापा मारता है वो सिर्फ चंद महीने के बाद उसकी कम्पनी का निदेशक कैसे बन जाता है ?

केंद्र सरकार ने संदीप टंडन की वीआरएस की अर्जी तुरतं ही मंजूर कैसे कर ली ?

संदीप टंडन की रहस्मय मौत की खबर जिन जिन वेब साईट पर थी उन साइटों को केंद्र सरकार ने किसके आदेश से ब्लोक कर दिया ?

मित्रो, सोचिये जिस महिला को राजनीती का एक दिन का भी अनुभव न हो उसे राहुल गाँधी अपनी कोर ग्रुप की सबसे अहम सदस्य कैसे बना सकते है ? आखिर इसके पीछे क्या राज है ?

(जितेंदर प्रताप सिंह)

Monday, November 5, 2012

क्या सच में खौफ के साये में जी रहा है भारतीय मुसलमान..?



हर हिन्दू इस खबर को पड़े और शेयर करे और सोचे उसका भविष्य क्या होगा आने वाले समय में..?

खौफ के साये में जी रहा है भारतीय मुसलमान.........मोहम्मद अदीब, रामविलास पासवान, लालू प्रसाद यादव, सी पी आई नेता ए बी बर्धन, प्रकाश करात, डी राजा और अतुल अंजान

यह बहुत दुख की बात है कि आजादी के 65 साल बाद भी भारतीय मुसलमान भय के साए में जी रहे हैं.आए दिन मुसलमानों की गिरफ्तारी की वजह से यहां का मुसलमान हमेशा इस 
डर में रहता है कि पता नहीं कब किसे पुलिस उठाकर ले और किसी झूठे मामले में फंसा दे
. यह बातें राज्य सभा सांसद मोहम्मद अदीब ने पीपुल्स कैंपेन अगेंस्ट पॉलिटिक्स ऑफ टेरर के अंतर्गत एक कन्वेन्शन में कहीं। उन्होंने कहा कि बेकसूए मुस्लिम नौजवानों की रिहाई के लिए हम जो जंग लड़ रहे हैं बड़ी खुशी की बात है कि हमारी इस जंग में में केवल मुसलमान ही नहीं बल्कि हमारे लाखों कड़ोरों हिंदू भाई भी हमारे साथ हैं जो समझते हैं एक साजिश के तहत मुसलमानों को गिरफ्तार किया जा रहा है जो एक गलत बात है. उन्होंने कहा कि हमारी लड़ाई बहुत दूर तक जाएगी और न्याय मिलने तक यह जारी रहेगी।

अदीब ने कहा कि हम मुसलमान अपनी अलग दुनिया बसाना नहीं चाहते। हमारे देश का सिस्टम ही कुछ ऐसा है कि यहाँ हम सब हिन्दू मुस्लिम मिलकर ही रह सकते हैं और तरक़्क़ी कर सकते हैं। हम ऐसा करना भी चाहते हैं मगर हमें चैन से रहने क्यूँ नहीं दिया जाता। क्यूँ हमें शक कि निगाह से देखा जाता है और आतंकवाद के नाम पर हम पर ज़ुल्म किया जाता है।

नयी दिल्ली के मावलंकार हाल में आयोजित इस कन्वेन्शन को देश के कई बड़े नेताओं ने संबोधित किया। इस अवसर पर वैसे नौजवान भी मौजूद थे जिन्हें झूठे मुक़दमे में फंसाया गया और जो बाद में कई साल तक अपना कीमती जीवन जेल में गुजरने के बाद रिहा हुये। कन्वेन्शन में मुलायम सिंह यादव को भी आना था मगर वह क्यूँ नहीं आए इस पर लोगों में कानाफूसी होती रही।

इस अवसर पर लोकजनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष रमविलस पासवान ने कहा कि देश में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो यह नहीं चाहते की इस देश का हिन्दू मुस्लिम मिलकर रहे। आर एस एस , वी एच पी, बजरंग दल, और ऐसे दूसरे संगठनों का नाम लेते हुये उनहों ने कहा कि यह सब विघटनकारी संगठन हैं जो देश की एकता के लिए खतरा पैदा करते रहते हैं। पासवान ने बाबरी मस्जिद की याद दिलाते हुये कहा कि जिन लोगों ने उसे यह कहकर तोड़ दिया कि यह बाबर ने बनाया था तो फिर ऐसे लोग लाल क़िला या ताजमहल को क्यूँ नहीं तोड़ देते उसे भी तो मुसलमान राजा ने ही बनाया था। पासवान ने इस्लाम धर्म कि प्रशंसा करते हुये कहा कि हमारे यहाँ तो छोटी जाति के लोगों को मंदिर नहीं जाने दिया जाता लेकिन इस्लाम में तो सब बराबर है। इस्लाम कि शिक्षा के अनुसार यहाँ कोई छोटा और बड़ा नहीं है। अल्लाह कि नज़र में सब बराबर है। आतंकवाद के संबंध में रमविलस पासवान ने कहा कि आजकल पूरे दुनिया में मुसलमानों के खिलाफ एक साजिश चल रही है। भारत के संबंध में उनहों ने कहा कि यहाँ सिमी पर तो पाबंदी लगा दी गयी मगर आर एसएस जैसे संगठनों पर पाबंदी क्यूँ नहीं लगती? रमविलस ने मुसलमानों से अपील की है कि, यदि आप पर ज़ुल्म हो रहा है आप के ख्लफ साजिश हो रही है तो सड़कों पर निकलिए । सड़कों पर निकले बिना आपकी समस्या का सामाधान नहीं हो सकता। दुनिया को और देश को अपनी ताकत का अहसास कराईए तभी आपको इंसाफ मिलेगा। उनहों ने कहा कि देश में जो संप्रदायिङ्क ताक़तें हैं हमें उनके खिलाफ मिलकर लड़ना होगा। इस कन्वेन्शन को एक अच्छी शुरूआत बताते हुये पासवान ने कहा कि इसे सिर्फ कन्वेन्शन तक ही न रखें बल्कि इसे एक मिशन के तौर पर लें और देश की सभी सेकुलर ताकतों को मिलकर इस बुराई के खिलाफ आवाज़ बुलंद करें तभी हमें इसमें सफलता मिलेगी।

राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने बड़े बड़े मौलना के मुंह एक तरह का तमाचा मारते हुये कहा कि इस देश में मुसलमानों के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है यहाँ मुस्लिम संगठनों में एकता नहीं है। हर कोई अपनी अपनी चला रहा है। उनहों ने कहा कि हद तो यह है कि चाचा और भतीजा में एकता नहीं है। लालू ने कहा कि जब तक आप में एकता नहीं होगी अप अपने हक़ कि लड़ाई नहीं लड़ सकते। एक फ्लैटफार्म पर आए बिना आपको इस देश में इंसाफ नहीं मिल सकता। उनहों ने मुसलमानों से अपील की कि आप अपनी मांगों या समस्या को लेकर रामलीला में जमा हों और अपनी आवाज़ बुलंद करें। मुस्लिम नौजवानों की आए दिन होने वाली गिरफ्तारी पर उनहों ने कहा कि यह सब एक प्लानिंग के तहत हो रहा है। पोलिस की अपनी हिम्मत नहीं है कि वह मुस्लिम बच्चों को गिरफ्तार करे पोलिस को तो कोई और कंट्रोल कर रहा है। उस कंट्रोल टावर को कंट्रोल करने कि ज़रूरत है।

उत्तर प्रदेश में बनी नयी सरकार के संबंध में लालू ने कहा कि सबको पता है कि समाजवादी पार्टी सिर्फ और सिर्फ मुसलमानों के वोट की वजह से ही सरकार बना ने में सफल हुई। अगर मुसलमान हमेशा इसी एकता का परिचय दें तो उनके दिन बादल सकते हैं।

सी पी आई नेता ए बी बर्धन, प्रकाश करात, डी राजा और अतुल अंजान ने भी माना कि मुसलमनोन पर ज़ुल्म हो रहा है और इस ज़ुल्म को रोकने के लिए सेकुलर ताकतों को एकजुट होना होगा। इन सबने कहा की जिस प्रकार मूसलिम बच्चों को आए दिन गिरफ्तार कर के जेल में डाला जा रहा है वह एक सेकुलर देश के लिए चैलेंज है। अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष वजहत हाबिबुल्लाह ने कहा कि जो पोलिस वाले मुस्लिम नौजवान को बिना कसूर के उनकी ज़िंदगी खराब करते हैं उनके खिलाफ भी कारवाई होनी चाहिए। इस अवसर पर कुँवर दानिश आली और मनीषा सेठी ने अपनी बातें रखीं। मनीषा ने कई मिसाल देते हुये यह बताया कि किस प्रकार पोलिस मुस्लिम नौजवानों को झूठे मुक़दमे में फँसाती है और बाद में यह सब बरी तो हो जाते हैं मगर तब तक उनका जीवन बर्बाद हो चुका होता है। इस कनवेशन का संचालन नौजवान नेता अमीक जामेई ने किया। अमीक ने एलान किया कि इंसाफ मिलने तक सेकुलर ताकतों कि मदद से हमारी यह जंग जारी रहेगी।

Saturday, November 3, 2012

कल की रेली में सोनिया का भाषण लिखा होगा, जिसे वो यू पड़ेंगी ..........




भाडीयो(भाईयो) बहडीयो(बहनों)

मे आपके सावड़े आज इसलिये आई हूँ मुझ विधवा पर दिन पर दिन लालचंद(लालचन) लगाए जा रहे है......
एक विधवा के दो छोटे छोटे मासूम बच्चो पर भी लालचंद (लालचन) लगाए जा रहे है.....
मेंडे(मेरे) लिए कहा जाता है कि, मेने इस देस्ड़(देश) का पैसा अपने मायका(मायके) इतली भेजा, अखिद(आखिर) कौन सी औलत(औरत) अपडे(अपने) मायका का फ़िक्र नहीं करती हें...............मेंडे किया टो(तो) क्या गलट(गलत) किया.....आखिर मेरे देवल(देवर) मोड़ी(मोदी) जी को क्या हेक(हक) की वो मेरे इलाज पर सवाल उठाएंगे..........उन्होंने एक ओलत के इलाज पर सवाल उठाया हें इसलिए दुनिया की सभी ओलते मोड़ी(मोदी) जी को वाट(वोट) न डे(दे)...............


मेले दुसरे देवल दोक्टर(डॉक्टर) स्वामी जी मुझसे तबसे नाराज है जब मे एक पाकिस्तानी के लोंदन(लन्दन) रेस्तौरेंट(रेस्टोरेंट) में बार गर्ल और कभी कभी बार में डांस भी करती थी तब में उनकी जगह भोंदू खाजीव(राजीव) को ज्यादा भाव देती थी खाजीव(राजीव) भोंदू थे टो क्या हहा वो भारत के प्रधानमंत्री के बेटे थे और अपनी उसी दूर की सूझ भूज(भूज) के कारन आज तुम सब्द(सब) पर राज कर रही हूँ.........

बाब रावदेव(बाबा रामदेव)एक सन्यासी है उन्हें भजन और योग करना चाहिये ना की दन(धन) के पीछे पीछे भागना चाहीये चाहे वो दन काडा(काला) ही क्यों न हो...........क्या काडा दन आ जाने से लोग स्वस्थ हो जायेंगे? स्विस में अकाउंट हमारा है टो पेट में दर्द बाबा के क्यों होता है? क्या आपको दन चाहिये या रोटी दन चाहिये टो में सब की रोटी छीन लूंगी और सबको जेल में डालके दंड दूंगी अब बोडो(बोलो) क्या चाहिये.......? टो भीड़ से आवाज आयेगी......................

"रोटी खाने दे"

सोनिया आगे.... बाबा देख लो सबको रोटी कहानी है काडा पीड़ा दन नहीं चाहिये......अब आप केवल योग करो और मुझे भोग करने दो...............

मैं आप सब को बटाना(बताना) चाटी(चाहती) हूँ कि, अदर (अगर) आप ने मोड़ी जी, स्वमी जी और बाबा रावदेव को सपोल्त(सपोर्ट) किया टो में आप सब को छोड़कर अपडे मायका भाग जाउंगी और आप सब पे एक ओलत पर दहेज़ उत्पीडन का केस करूंगी......सबसे जेल में चक्की पिस्वाउन्गी..........

सद्कार (सरकार) मेरी है और मन मोहन मेरा रोबेर्ट ये आप जादते(जानते) हो .....
 

Thursday, November 1, 2012

भाग्यलक्ष्मी मंदिर पर मुल्लो का फिर हमला


कल यानी 31 अक्तूबर रात को हैदराबादके भाग्यलक्ष्मी मंदिर में कुछ मुल्लों ने हमला बोला और वहां मोजूद पुजारी को पीटा,तथा इसके बाद मंदिर में तोड़-फोड़ भी की |..........................

वहां मोजूद पुलिस वालो ने उन्हें रोका और उनमे से चार मुल्लो को गिरफ्तार किया ......................लेकिन साथ ही वहां मोजूद प्रेस से पुलिस ने कुछ भी ना खबर छापने या ना दिखाने की सख्त हिदायत दी है ................

सेकुलरो देख लो ....हम नहीं बल्कि हर बार ये लोग ही हमारे धर्म पर चोट करते है

सभी सेकुलरो से एक सवाल क्या मुसलमान कुरआन के विरुद्ध जा सकते है........?

अगर हां तो वो मुसलमान नहीं.............

और अगर ना तो जिस किताब में लिखा हो काफिरों को मारो तो वो हम काफ़िरो को छोड़ देंगे क्या...............?

Wednesday, October 10, 2012

भाजपा में कल के नायक आज के खलनायक



जो कल भाजपा के नायाक थे वो आज के खलनायक 


हम सब और देश भी चाहता है की अत्याचारी देशविरोधी कांग्रेस से छुटकारा मिले भाजपा की सरकार बने पर कुछ भाजपा के बड़े राष्ट्रीय नेता ही इसके आगे रोड़े अटका रहे है....................

या तो आज उम्र का तकाजा है या इन सब को अपनी अपनी कीमत मिल चुकी है ..........

कल के लोह पुरुष आज के मोम पुरुष क्यों..................?

कल की की तेज तरार नेत्री आज की गूंगी गुडिया क्यों.......?


किसी समय इस देश के लोगो को गर्व होता था की देश में भाजपा जैसा विपक्ष है, आज भी मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा है फिर क्यों विपक्ष देश से नदारद है..................?


लोकतंत्र में विपक्ष देश और आम आदमी की अवाज होता है भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में बेठे इन लोगो ने आम आदमी की अवाज का गला क्यों घोटा.......................?


भाजपा को बचाने के लिए भाजपा में राष्ट्रीय नेतृत्व का परिवर्तन आज समय की मांग है और भाजपा के कार्यकर्ताओ से अपील है इस और अवश्य सोचे..........................


क्या विपक्ष की भूमिका सुब्रमनियम स्वमी और बाबा राम देव ही निभाए भाजपा का कोई फ़र्ज़ नहीं......?

२०१४ में भाजपा नहीं हरेगी, हारेगा देश, हारेगा हिंदुत्व, भाजपा की हार इस देश के लिए वो षती होगी जिसकी भरपाई ये देश सदियों तक नहीं कर पायेगा....................

https://www.facebook.com/photo.php?fbid=10151079215548483&set=a.10150208636883483.314680.650063482&type=1&theater

Wednesday, October 3, 2012

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का विलय "कामराज कांग्रेस" में


क्या भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का विलय "कामराज कांग्रेस" जिसका चुनाव चिन्ह था चरखा उसमे हो गया है.......................................?

कुमारस्वामी कामराज जो के. कामराज के नाम से अधिक जाने जाते थे, का जन्म 15 जुलाई 1903 को तमिलनाडु के 'विरूधुनगर' में हुआ था। उनका मूल नाम 'कामाक्षी कुमारस्वामी नादेर' था, लेकिन बाद में वह के. कामराज के नाम से प्रसिद्ध हुए। कामराज के पिता व्यापारी थे, किंतु उनकी असमय मृत्यु ने उनके परिवार को परेशानी में डाल दिया। भारतीय राजनीति में वे 'किंग मेकर
' के रूप में जाने जाते थे। 'भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन' में भी उनकी सक्रिय भूमिका रही। भारत के प्रथम रसिया प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के वह अत्यधिक निकट रहे। 

15 साल की आयु में कामराज ने अपने गृह ज़िले में कांग्रेस पार्टी के लिए धन एकत्र करने का अभियान चलाकर राजनीति में प्रवेश किया। 1937 में उन्हें 'मद्रास विधानसभा' के लिए चुन लिया गया और 1952 के आम चुनाव में उन्होंने लोकसभा की सीट जीती। 1954 से 1963 तक वह मद्रास के मुख्यमंत्री रहे और 'कामराज योजना' के अंतर्गत उन्होंने पद त्याग दिया, जिसमें निचले स्तर पर 'कांग्रेस पार्टी के पुनर्गठन' के लिए अपने को समर्पित करने के लिए वरिष्ठ राष्ट्रीय एवं राज्य पदाधिकारियों के स्वैच्छिक त्यागपत्र का प्रावधान था। इसके तुरंत बाद ही उन्हें पार्टी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उन्होंने 1964 में लाल बहादुर शास्त्री को और 1966 में इंदिरा गाँधी को प्रधानमंत्री बनाने में प्रमुख भूमिका निभाई। दोनों बार दक्षिणपंथी मोरारजी देसाई (जनता पार्टी) को हराया, किंतु 1967 में वह अपने गृहनगर में हार गए। इसके तुरंत बाद इंदिरा गाँधी उन्हें पार्टी के नेतृत्व से हटाने में सफल रहीं। 1969 में वह पुराने नेताओं के गुट के सदस्य रहे, जिसने इंदिरा गाँधी को सत्ता से हटाने का प्रयास किया, लेकिन पार्टी में विभाजन हो गया, जिसमें कामराज और उनके सहयोगी एक छोटे से विभाजित गुट के साथ अलग-थलग हो गए। 

तब इन्द्रा गाँधी उर्फ़ मेमुना बेगम के नेतृत्व वाली कांग्रेस को गाये और बछड़े का चुनाव चिन्ह मिला और कामराज के नेतृत्व वाली कांग्रेस को चरखा चुनाव चिन्ह मिला. वर्ष 1977 में आपातकाल समाप्त होने के बाद कांगेस की बदहाली शुरू हुई। इसी दौर में चुनाव आयोग ने गाय बछड़े के चिन्ह को जब्त कर लिया। रायबरेली में करारी हार के बाद सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस के हालात देखकर पार्टी प्रमुख इन्दिरा गांधी काफी परेशान हो गयीं। परेशानी की हालत में श्रीमती गांधी तत्कालीन शंकराचार्य स्वामी चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती का आशीर्वाद लेने पहुंची।

इंदिरा गांधी की बात सुनने के बाद पहले तो शंकराचार्य मौन हो गए लेकिन कुछ देर बाद उन्होंने अपना दाहिना हाथ उठाकर आर्शीवाद दिया तथा हाथ का पंजा पार्टी का चुनाव निशान बनाने को कहा। उस समय आंध्र प्रदेश समेत चार राज्यों का चुनाव होने वाले थे। श्रीमती गांधी ने उसी वक्त कांग्रेस आई की स्थापना की और आयोग को बताया कि अब पार्टी का चुनाव निशान पंजा होगा। शंकराचार्य के आर्शीवाद के बाद कांग्रेस पुनर्जीवित हो गयी तथा चार राज्यों के चुनाव में कांग्रेस की जोरदार जीत हुई। 

हाल ही में राहुल गाँधी ने "कामराज योजना" को कांग्रेस में फिर से लागु करने की योजना का प्रयास किया था पर उनको अब कांग्रेस में ये योजना लागु करने की सफलता नहीं मिली और आज गुजरात के राजकोट से "कामराज कांग्रेस" के चुनाव चिन्ह से अपनी चुनावी रेली की शुरुआत कर क्या यही समझा जाए की भारतीय राष्ट्रीय कांग्रस का विलय "कामराज कांग्रेस" में हो गया है.......

Tuesday, September 18, 2012

वो राजेश खन्ना की तरह अदाकार नहीं थे


वो राजेश खन्ना की तरह अदाकार नहीं थे , ठुमके नहीं लगते थे , उनके सम्बन्ध सब से मधुर थे , फ़िल्मी भांडों की तरह उनके सम्बन्ध किसी से जायज या किसी से नाजायज नहीं थे ,


वो राष्ट्र भक्त थे , वो एक स्वयं सेवक थे जिन्होंने कभी राष्ट्र भले के अतिरिक्त अपने लिए कुछ नहीं चाह , वो सुदर्शन थे भगवन श्री कृष्ण के सुदर्शन चक्र की भाति भारत के सुदर्शन ,, वो एक राष्ट्रवादी संगठन के पूर्व सरसंघसंचालक थे जिन्होंने

अप



ना पूरा जीवन अविवाहित रहकर राष्ट्र की सेवा में लगा दिया और बाद मृत्यु के अपनी आँखे भी दान कर गए जिससे आज एक अंध व्यक्ति देख पाने में सक्षम है ,,, उन नेत्रों के अतिरिक्त परम पूजनीय सुदर्शन जी हमारे ह्रदय में सदैव जीवित रहेगे |



हाँ वो कोई राजेश खन्ना जैसे अभिनेता नहीं थे जिसके मरने पर २० दिन तक मिडिया श्रधांजलि देती रही ,,,, वो एक राष्ट्र भक्त थे जिनको श्रधांजलि सिर्फ उन्होंने दी जिनको इस राष्ट्र से प्रेम है ,,, किसी के नाचने ,गाने, ठुमके लगाने से नहीं ||

अगर कोई फ़िल्मी भांड अपनी टी शर्ट उतार कर किसी के ऊपर फेक देता या फिर कोई क्रिकेटर अपना बैट नीलाम कर उसका पैसा दान में दे देता तो यह भांड बिकाऊ इलेक्ट्रोनिक मिडिया कई दिन तक इस खबर को विज्ञापनों के साथ आपको परोसता रहता किन्तु राष्ट्र का एक अनमोल रत्न , माँ भारती का एक सच्चा सपूत जो अपनी पूरी जिंदगी राष्ट्र और धर्म की सेवा बिना किसी लोभ के करता रहा जिसका जीवन एक खुली किताब की तरह पुरे भारत के सामने 
रहा | वो माँ भारती का बेटा अपने नेत्र एक जरूरतमंद को दान करके गया इस बिकाऊ मिडिया में उसकी कंही चर्चा नहीं है ,,,, अगर सुदर्शन जी के स्थान पर सचिन होता ? सलमान होता ? आमिर या शाहरुख या कोई और प्रसिद्ध नाम होता तो भी क्या मिडिया यह व्यवहार करती ?? ,,, जी नहीं पैसे के लिए खेलने वाले क्रिकेटर और पैसों के लिए ठुमके लगाने वाले फ़िल्मी भांड या फिर वो नाम जो कांग्रेस से आता उसके लिए यह मिडिया दिन रात अपनी श्रधांजलि देती और लोगो को उनसे प्रेरणा लेने के लिए बोलती ,,, यही मिडिया राहुल के किसी गरीब के खाने की खबर को दिन रात दिखाती है जो आज एक राष्ट्रभक्त के निधन और एक महान नेत्रदान जैसे कार्य को कोई स्थान नहीं दे रही ||

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के किसी स्वयंसेवक ने कभी अपना प्रचार नहीं किया ना ही संघ ने अपने किये कार्यों का प्रचार किया किन्तु आज मरणोपरांत सुदर्शन जी को सम्मान ना देना दिल को चोट पंहुचा रहा है ||



तेरा वैभव अमर रहे हे राष्ट्र पुत्र हे माँ भारती के लाल |

कोटि कोटि वंदन है , शत शत नमन है ||



(एक ही विकल्प "भारत")

Friday, September 14, 2012

कांग्रेसीयो के प्रदर्शन में सोनिया गाँधी हाय हाय


आज जंतर मंतर पर कांग्रेस ने एम् सी डी यानी भाजपा के खिलाफ महिलाओ का प्रदर्शन आयोजित किया, कुछ महिलाओं को वहा लाया गया तो वहा पत्रकारों ने महिलाओं से पूछा आप लोग यहाँ किसके खिलाफ प्रदर्शन के लिए आई है...............

महिलाओं ने कहा एम् सी डी में कोई काम नहीं हो रहा, जनता परेशान है बिजली नहीं आती है, बिजली के बिल इतने बड़े हुहे आ रहे है, पानी नहीं आ रहा आदी आदी....................

एक पत्रकार ने कहा बिजली नहीं आने और बिजली के बिल के लिए एम् सी डी क्या कर सकती है....? ये तो दिल्ली सरकार और शीला दीक्षित के अंदर आता है पत्रकार के ये बताते ही महिलाओं ने शीला दीक्षित हाय हाय कांग्रेस सरकार मुर्दाबाद के नारे लगाने शुरू कर दिए. बेचारी उनको लाने और प्रदर्शन का आयोजन करने वाली कांग्रेस कार्यकर्त्ता महिलाओं का चेहरा देखने लायक था वो यही कहती रही की अरे ये कांग्रेस का कार्यक्रम है कांग्रेस के विरुद्ध नारे मत लगाओ............

इतने में किसी भाई ने आग में घी और डाल दिया, महिलाओं से बोला ७५० रूपये का सिलेंडर खरीदोगी तो कैसा लगेगा, आलू ४० रूपये किलो और टमाटर ५० रूपये मिलेंगे तो कैसा लगेगा, बस हो गया कांग्रेस के प्रदर्शन का श्राद...........

शीला के साथ साथ मनमोहन, सोनिया और राहूल को जमकर गालिया पडी कांग्रेस के नेता वह से भाग गए........................

बेचारी कांग्रेस करे तो क्या करे.................

 (श्रोत्र जी न्यूज़ और जंतर मंतर पर उपस्थित जन समूह)

Thursday, September 6, 2012

मुंगेरीलाल - अन्ना ..एक चीज होती है... थोरियम...आपने कभी सुना है


मुंगेरीलाल - अन्ना ..एक चीज होती है... थोरियम...आपने कभी सुना है

अन्ना- हें...जोर से बोलो... मुझे नही पता ....ये क्या है... नासपती, लोकी जैसी कोई चीज है क्या.?
मुंगेरीलाल - ये रेत में मिलती है, इससे एटम बम बना सकते हैं, इससे बिजली बना सकते हैं
अन्ना- हें... तो ये अब रेत में नहीं मिलती क्या
मुंगेरीलाल- अब भी मिलती है तभी तो मैडम की पार्टी ने ४८ लाख करोड़ का घोटाला
कर दिया अमेरिकी कंपनियों को बेच दिया
अन्ना- हें...तो मैं अनशन पर बैठ जाऊं मैंने चार चार कैबिनेट मंत्रियों के विके

ट लिए हैं चार बाई आठ के कमरे में सोता हूँ मंदिर में रहता हूँ कोई परिवार नहीं बनाया......
खुजलीवाल- नहीं अभी पहले सोनिया अन्तोनिया दमदमी माई टकसाल मैडम से पूछेंगे तब इस पर अनशन करना है
अन्ना- ठीक है ...जब भी अनशन पर बैठना हो बता देना मैंने चार चार कबिनेट मंत्रियों के विकेट लिए हैं.

खुजलीवाल- अभी भाजपा भी चुप है
अन्ना- हें..पर भाजपा क्यों चुप है मैंने चार चार कैबिनेट मंत्रियों के विकेट लिए हैं चार बाई आठ के कमरे में सोता हूँ मंदिर में रहता हूँ कोई परिवार नहीं बनाया
खुजलीवाल- अभी वो कोयले में अटकी है... जब भाजपा मुंह खोलेगी तब ही तो हमें मैडम के यहाँ से थैली मिलेगी
अन्ना- हां वो तो है मैंने चार चार कैबिनेट मंत्रियों के विकेट लिए हैं चार बाई आठ के कमरे में सोता हूँ मंदिर में रहता हूँ कोई परिवार नहीं बनाया
मुंगेरीलाल - तब आप आ जाना अनशन करने
अन्ना- ठीक है बता देना मैंने चार चार कैबिनेट मंत्रियों के विकेट लिए हैं चार बाई आठ के कमरे में सोता हूँ मंदिर में रहता हूँ कोई परिवार नहीं बनाया
खुजलीवाल- हाँ तभी तो आपको लोग गाँधी समझते हैं...ही ही ही

अन्ना- ये नौकर लोग मालिक हो गए ...ये कोई लोकसाई है क्या ...अरे तुमको भेजा सेवा करने को.. तुम हमको आँख दिखाता है मैंने चार चार मंत्रियों के विकेट लिए हैं
खुजलीवाल.- अन्ना ...बस भी कीजिये ...पकाईये मत...
अन्ना- ठीक है... लेकिन मीडिया को बुलाओ... मेरा इंटरव्यू दिलाओ... ये तो बहुत बड़ा घोटाला है..
खुजलीवाल- लेकिन अभी चुप रहने को मैडम ने कहा है अभी तो भाजपा भी चुप है...जब भाजपा बोलेगी तब हम कहेंगे... सब चोर हैं..सब चोर है.....
अन्ना- मैंने चार चार मंत्रियों के विकेट लिए...
खुजलीवाल-- अन्ना ... अब बस भी कीजिये...
अन्ना- मैं चार बाई आठ के कमरे में सोता हूँ
खुजलीवाल- पक गया मेरे बाप... अब तो चुप हो जा...!!
अन्ना- मैंने चार चार कैबिनेट मंत्रियों के विकेट लिए हैं चार बाई आठ के कमरे में सोता हूँ मंदिर में रहता हूँ कोई परिवार नहीं बनाया
मुंगेरीलाल- मेरे बाप..अब चुप हो जा...
अन्ना- मैंने चार चार कैबिनेट .....

(मदन मोहन तिवारी)

Sunday, August 5, 2012

अन्ना की "हिंद स्वराज पार्टी" कांग्रेस की बी टीम


किशन बाबूराव हजारे की गैंग ने हालिया 9 दिन के ताजा अनशन के नाम पर भी पूरे देश को गधा बनाया, भूखे होने पर शरीर में ग्लूकोज की कमी के बाद भी इन तीनों के शरीर में जिस तरह से कीटोने बोडीज ऊपर नीचे होती रही वो किसी 'चमत्कार' से संभव है या 'स्टील के गिलासों' में कुछ लेने से।


कोई व्यक्ति यदि भूखा रहे तो 24-48 घंटों में उसकी जमा उर्जा के बाद शरीर अपने में जमा fat को काम में लेना शुरू करता है, कीटोन इसी प्रकिया में उत्पन्न होता है, पर इन तीनों (अरविंद, मनीष और गोपाल) के शरीर में जाने किस दैवीय चमत्कार या नई पार्टी बनाने की खुशी में अनशन के बाद कीटोन में गिरावट दर्ज की गई जो IAC द्वारा उपलब्ध कराये गये आंकडों में भी दर्ज है। आश्चर्य है कि कई तथाकथित "बुद्धुजीवी" अभी भी अन्ना गैंग को ठीक और देश के लिये काम करने वाला ठहराने की कुत्सित कोशिशों में लगे हैं।


जरा सोचिये एक भयंकर सुगर पीड़ित अरविन्द केजरीवाल केसे १० दिन भूखा रह सकता है ये संभव ही नहीं है क्योंकी सुगर की बीमारी में ज्यादा देर भूखे रहना जनलेवा होता है सुगर की बीमारी में पीड़ित व्यक्ति को डॉक्टर थोड़ी थोड़ी देर में कुछ लेते रहने की सलाह देते है फिर अरविन्द केजरीवाल केसे १० दिन भूखा रह सकता है...


अन्ना और उसका गेंग कांग्रेस और विदेशी टुकडो पर पलने वाला देश का सबसे बड़ा दुश्मन है.


http://www.indianexpress.com/news/medical-report-of-team-anna-a-mystery/983183/0

Thursday, July 26, 2012

असम को बनाया कोंग्रेस ने दूसरा कश्मीर


असम को बनाया कोंग्रेस ने दूसरा कश्मीर| 

ऐसा कहा जा रहा है की आसाम में करीब ५०० गाँव जला दिए गए हैं और पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं|

५०० गाँव जले और केवल ३२ मौतें ये आंकड़ा कुछ गले से नहीं उतरता है जबकि सेना का कहना है की कई जगहों से उन लोगो ने १०-१५ लाशें एक साथ निकाली हैं| जहाँ प्रत्यक्षदर्शी २०० के आस-पास की मौतों की पुष्टि कर रहे हैं वही सरकार तो छोडीये सरकार की वक्ता मीडिया केवल ३२ मौतें दिखा अपने कार्य की इतिश्री कर लिए| 

अब इस पर अंधी-गूंगी-भांड मीडिया का कहना है की बोडो डोमिनेटेड गाँव थे ये| और गैर बोड़ोज ने जलाया| ऐसा हर जगह के दंगे में होता है की हिन्दू शब्द का तो धड़ल्ले से उपयोग होता है लेकिन मुसलमान कहने में इन हरामखोर मीडिया वालों की नानी या अम्मी मरने लगती है| क्या इन कुत्तों को ये नहीं पता है की ये नंगनाच करने वाले और कोई नहीं बल्कि कांग्रेस नाम की खजुहट के द्वारा बसाये गए महान बंगलादेशी कुत्ते हैं जो इन मीडिया वालों की अम्मी कांग्रेस को वोट देते हैं|

अब मीडिया के सम्राट कहे जाने वाले राजदीप सरदेसाई को ही लीजिये उन्होंने ने तो बड़ी बेबाकी से अपने जीजाओं का पक्ष लेते हुए ट्विटर पर साफ़-साफ़ लहजे में कह दिया था की जब तक आसाम में १००० हिन्दू नहीं मर जाते हैं तब तक इनका चैनल इस न्यूज़ को नहीं दिखायेगा क्यूंकि गुजरात में १००० लोग मरे थे लेकिन यहाँ भी इस चाटुकार दलाल ने गोधरा नहीं भौंका और नाही दिल्ली का कत्लेआम क्यूंकि इसकी अम्मा इसकी पगार बंद कर देगी जो इस दल्ले के घर पर इसको मिठाई के कार्टून में भेजी जाती है|

अब तरुण गगोई तो इससे भी आगे निकल कर कह रहे हैं की ये दंगे थोड़े समय के लिए हैं अस्थाई हैं....अब जरा कोई इस हरामखोर से पूछे की स्थाई और अस्थाई दंगे में भेद क्या है और ये दंगा हुआ क्यूँ? इस खजुहट ने तो यहाँ तक कहा की केवल ३०००० हिन्दू ही तो विस्थापित हुए हैं जबकि एक क्षेत्रीय अख़बार की माने तो १,३०,००० और क्षेत्रीय लोगों की मानें तो करीब २,००,००० से भी ज्यादा हिन्दू शरणार्थी शिविरों में रहने को बाध्य हैं| मतलब दूसरा कश्मीर|

अब जहाँ तक सुनने में आ रहा है की जब बोड़ोज पुराने अलगाववादी बोड़ोज के साथ मिल कर इन बंगलादेशी और कांग्रेस पोषित कुत्तों को मारने लगे तो खजुहट कांग्रेस ने तुरंत अपने दामादों की रक्षा के लिए अतिरिक्त १५०० सेना के जवानों को भेज दिया आसाम| जब बोड़ोज मारे जा रहे थे तब क्या १० जनपथ में मिठाई बंट रही थी| और अब बोड़ोज की द्वारा अपने दामादों और जीजाओं की कटाई से दुखित पुरे "युपिए" के मुस्लिम नेता सांसद रहमानी के नेतृत्व में अघोषित प्रधानमंत्री और बंगलादेशी कुत्तों की सास सोनिया और ससुर अहमद पटेल से मिलने आ रहे हैं|

Friday, July 6, 2012

क्या वर्ण व्यवस्था का यही उद्देश्य था.....?????


आज हिन्दू समाज में जाति या वर्ण व्यवस्था .... निस्संदेह एक अभिशाप की तरह है..... और, एक कलंक है ....! परन्तु..... क्या सचमुच में ...... वर्ण व्यवस्था का यही उद्देश्य था.....?????

दरअसल जब कोई विशाल और भव्य भवन का निर्माण होता है तो, उसकी विशालता और भव्यता के लिए जो परिश्रम और रचनात्मकता लगती है वो ही कार्य दक्षता, इतिहास में विरासत के रूप में लिखी जाती है ..! परन्तु... जब उस विशाल और भव्य भवन की आवश्यकता पूर्ण हो जाती है ...... तथा वो बाहरी प्रभाव के कारण जर्जर हो जाती है और ढहने लगती है.... तो, उस समय के समाज के लिए वह भवन विशालता और भव्यता का कारण न बनकर दुर्घटना का कारण बन जाती है.... तथा भयावह हो जाती है ...! कमोबेश ... आज यही स्थिति भारत में हिन्दू समाज के वर्ण व्यवस्था की है ....!

कभी इसी वर्ण व्यवस्था ने भारत को शिखर पर पहुँचाया था.... परन्तु आज 1400 सालों की सामाजिक संकरण और बाहरी धर्मों की गन्दगी ने आज इसकी प्रासंगिकता को ख़त्म कर दिया है...... और, और जो जातीय प्रबंधन रुपी जंजीर कभी हमारे हिन्दू समाज के लिए कभी सुरक्षा प्रदान करती थी........ आज वही जातिवाद की जंजीरें हमारी बेड़ियाँ बन चुकी हैं ....! क्या आपने कभी जाति व्यवस्था के स्वर्णिम पहलुओं पर निष्पक्ष रूप से विचार किया है...?????? क्या आपने कभी सोचा है कि..... आखिर समाज में रहने और समाज के सर्वांगीण विकास के लिए जाति व्यवस्था क्यों आवश्यक थी..........????

इस बात को समझाने के लिए .... आज के सामाजिक परिदृश्य पर थोडा नजर दौडाएँ........!

आज के समाज में रेडियो 15 रुपये में मिल रहा है...... और, अरहर की दाल 80 रुपये में..... !!!!!!!! पिज्जा की होम डेलिवरी है...... और, चिकित्सा सुविधा का आज भी आभाव है........! भारत में आज लगभग 70 लाख लोग इंजीनियरिंग की पढाई कर रहे है ..... वहीँ दूसरी ओर .... सेना और रक्षा सेवाएँ प्रतिभा की तलाश में है..........!

आज लोग .... और समाजशास्त्री परेशांन हैं ....ऐसी सामाजिक अव्यवस्था से.....!!!!!!

ऐसा इसीलिए है कि.........भारत के हिन्दू सामाजिक सिद्धांतों के आधार पर जो जाति व्यवस्था बनी थी उसका मूल उद्देश्य समाज का चहुँमुखी विकास था ....! समाज में हर किसी का विकास हो ...... यही जाति व्यवस्था का लक्ष्य था..! और.... यही कारण है कि ..... हिन्दुओं ने कला, विज्ञान ,कृषि, रक्षा, सौंदर्य, खगोल, ज्योतिष, गणित ,साहित्य ....आदि सभी क्षेत्रों मे सामान रूप से विकास किया.... हर क्षेत्रों में एक नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए दुनिया में अपनी विजय पताका फहराई....!!

जरा सोचिये.............. जिस विकृत जाति व्यवस्था को हिन्दू समाज की बुराई के रूप में हमें परिभाषित किया गया और हमने मान लिया ....!यदि... भारत में आज भी जाति व्यवस्था के हिसाब से ही आज कार्य होता तो ..........बाटा, लिबर्टी जैसी कंपनियों में किसका अधिपत्य होता... और, उनमे काम कौन करता .....????

लुहार जाति के लोगों का ही अस्तित्व होता भारत की समस्त लौह सम्पदा पर ....ऐसे में इस्पात संयंत्रों में काम करने वाला अधिकारी, अभियंता, प्रबंधक कौन होता ....???

पूरे भारत में काम करने वाली समस्त दुग्ध उत्पादों , अमूल, पराग और मदर डेरी में हिन्दू यादवों का ही अधिपत्य होता ...... डेयरी तकनीक और अनुसन्धान हो या कोई भी शिक्षण समाज सब कुछ संरक्षित होता यादव समाज के लिए ....!

आज पूंजी के आधार पर टाटा तनिष्क .. और डी-डमास जैसी कंपनिया....सुनार समाज का रोजगार लील रही हैं ....परन्तु, यदि सुनार समाज भारत के सभी आभूषण कारोबार की देखरेख करते तो......... आप आसानी से समझ सकते हैं कि सुनार समाज कहाँ होता ...????

भारत के केवट समाज भी आधुनिक होकर भारतीय नेवी की रीढ़ बन गया होता ...!

ब्राह्मण समाज को आज समाज में पान की दुकान या राजनीति नहीं करनी होती ....अपितु कला साहित्य और विज्ञान क्षेत्र इनके अधीन होते ...!

क्षत्रिय समाज सेना और राजनीति के माध्यम से पूरे समाज में......... सबकी सुरक्षा कर रहे होते.....! राजनीति के प्रबंधक ,सेना के अधिकारी, अभियंता कृषि कार्य से सम्बंधित सभी कार्यों पर शुद्र समाज का अस्तित्व होता और समस्त भारत में सभी कृषि विश्वविद्यालयों और अनुसन्धान संस्थानों के वैज्ञानिक और प्रोफ़ेसर भी इसी समाज से होते ...........!

यदि ऐसी संकल्पना होती तो पूरा हिन्दू भारतीय समाज सभी दिशाओं में विकास करता और कहीं कोई ... किसी भी प्रकार के आरक्षण का झगडा नहीं होता...! भारतीय हिन्दू समाज में जाति व्यवस्था आधारित संकल्पना बड़ी ही अनुपम और अद्वितीय थी ....! पीढ़ी दर पीढ़ी शोध और विकास चलता रहता था ... और हर समाज एक दुसरे से लाभान्वित होता था ...! परन्तु.... दुर्भाग्य से समय की धार और.... मुस्लिमों आक्रान्ताओं के लगातार हमलों ने हमारे हिन्दू समाज के इस अनुपम ताना-बाना को छिन्न-भिन्न कर दिया..... और .... हमारी ये अद्वितीय जाति व्यवस्था.... वरदान के बदले एक अभिशाप और कलंक बन गयी ...!


Disclaimer : इस लेख का उद्देश्य जाति व्यवस्था को बढ़ावा देना कतई नहीं है...... बल्कि , सभी जातियों को समाज के लिए महत्वपूर्ण और एकरूप बताना है...!

साथ ही लेख का उद्देश्य ये साबित करना है कि..... जाति व्यवस्था... किसी को बड़ा या छोटा बनाने के लिए नहीं बल्कि....... समाज के सर्वांगीण विकास के लिए बनायीं गयी थी...!
(मूल लेखक सतीश कुमार)

Thursday, June 28, 2012

साध्वी प्रज्ञा पर अत्याचार और फोजिया खान पर सरकार चुप क्यों ?



क्या ये भारत की तथाकथित सेकूलर सरकार का दोगलापन नहीं है ........................................?



पूरी कागजी करवाई के बाद २००४ में बेची गई मोटरसाईकिल के २००८ मालेगाव विस्फोट में इस्तेमाल के कारण साध्वी प्रज्ञा के साथ अत्याचार और अपने घर में देश के दुश्मन आतंकवादियों को पनाह देने वाली फोजिया खान पर कोई करवाई क्यों नहीं.................... ?

साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर द्वारा नासिक कोर्ट में दिये गये शपथपत्र पर आधारित बयान . 

मैं साध्वी प्रज्ञा चंद्रपाल सिंह ठाकुर, उम्र-38 साल, पेशा-कुछ नहीं, 7 गंगा सागर ...अपार्टमेन्ट, कटोदरा, सूरत,गुजरात राज्य की निवासी हूं जबकि मैं मूलतः मध्य प्रदेश की निवासिनी हूं. कुछ साल पहले हमारे अभिभावक सूरत आकर बस गये. पिछले कुछ सालों से मैं अनुभव कर रही हूं कि भौतिक जगत से मेरा कटाव होता जा रहा है. आध्यात्मिक जगत लगातार मुझे अपनी ओर आकर्षित कर रहा था. इसके कारण मैंने भौतिक जगत को अलविदा करने का निश्चय कर लिया और 30-01-2007 को संन्यासिन हो गयी.

जब से सन्यासिन हुई हूं मैं अपने जबलपुर वाले आश्रम से निवास कर रही हूं. आश्रम में मेरा अधिकांश समय ध्यान-साधना, योग, प्राणायम और आध्यात्मिक अध्ययन में ही बीतता था. आश्रम में टीवी इत्यादि देखने की मेरी कोई आदत नहीं है, यहां तक कि आश्रम में अखबार की कोई समुचित व्यवस्था भी नहीं है. आश्रम में रहने के दिनों को छोड़ दें तो बाकी समय मैं उत्तर भारत के ज्यादातर हिस्सों में धार्मिक प्रवचन और अन्य धार्मिक कार्यों को संपन्न कराने के लिए उत्तर भारत में यात्राएं करती हूं. 23-9-2008 से 4-10-2008 के दौरान मैं इंदौर में थी और यहां मैं अपने एक शिष्य अण्णाजी के घर रूकी थी. 4 अक्टूबर की शाम को मैं अपने आश्रम जबलपुर वापस आ गयी.

7-10-2008 को जब मैं अपने जबलपुर के आश्रम में थी तो शाम को महाराष्ट्र से एटीएस के एक पुलिस अधिकारी का फोन मेरे पास आया जिन्होंने अपना नाम सावंत बताया. वे मेरी एलएमएल फ्रीडम बाईक के बारे में जानना चाहते थे. मैंने उनसे कहा कि वह बाईक तो मैंने बहुत पहले बेच दी है. अब मेरा उस बाईक से कोई नाता नहीं है. फिर भी उन्होंने मुझे कहा कि अगर मैं सूरत आ जाऊं तो वे मुझसे कुछ पूछताछ करना चाहते हैं. मेरे लिए तुरंत आश्रम छोड़कर सूरत जाना संभव नहीं था इसलिए मैंने उन्हें कहा कि हो सके तो आप ही जबलपुर आश्रम आ जाईये, आपको जो कुछ पूछताछ करनी है कर लीजिए. लेकिन उन्होंने जबलपुर आने से मना कर दिया और कहा कि जितनी जल्दी हो आप सूरत आ जाईये. फिर मैंने ही सूरत जाने का निश्चय किया और ट्रेन से उज्जैन के रास्ते 10-10-2008 को सुबह सूरत पहुंच गयी. रेलवे स्टेशन पर भीमाभाई पसरीचा मुझे लेने आये थे. उनके साथ मैं उनके निवासस्थान एटाप नगर चली गयी.

यहीं पर सुबह के कोई 10 बजे मेरी सावंत से मुलाकात हुई जो एलएमएल बाईक की खोज करते हुए पहले से ही सूरत में थे. सावंत से मैंने पूछा कि मेरी बाईक के साथ क्या हुआ और उस बाईक के बारे में आप पडताल क्यों कर रहे हैं? श्रीमान सावंत ने मुझे बताया कि पिछले सप्ताह सितंबर में मालेगांव में जो विस्फोट हुआ है उसमें वही बाईक इस्तेमाल की गयी है. यह मेरे लिए भी बिल्कुल नयी जानकारी थी कि मेरी बाईक का इस्तेमाल मालेगांव धमाकों में किया गया है. यह सुनकर मैं सन्न रह गयी. मैंने सावंत को कहा कि आप जिस एलएमएल फ्रीडम बाईक की बात कर रहे हैं उसका रंग और नंबर वही है जिसे मैंने कुछ साल पहले बेच दिया था.

सूरत में सावंत से बातचीत में ही मैंने उन्हें बता दिया था कि वह एलएमएल फ्रीडम बाईक मैंने अक्टूबर 2004 में ही मध्यप्रदेश के श्रीमान जोशी को 24 हजार में बेच दी थी. उसी महीने में मैंने आरटीओ के तहत जरूरी कागजात (टीटी फार्म) पर हस्ताक्षर करके बाईक की लेन-देन पूरी कर दी थी. मैंने साफ तौर पर सावंत को कह दिया था कि अक्टूबर 2004 के बाद से मेरा उस बाईक पर कोई अधिकार नहीं रह गया था. उसका कौन इस्तेमाल कर रहा है इससे भी मेरा कोई मतलब नहीं था. लेकिन सावंत ने कहा कि वे मेरी बात पर विश्वास नहीं कर सकते. इसलिए मुझे उनके साथ मुंबई जाना पड़ेगा ताकि वे और एटीएस के उनके अन्य साथी इस बारे में और पूछताछ कर सकें. पूछताछ के बाद मैं आश्रम आने के लिए आजाद हूं.

यहां यह ध्यान देने की बात है कि सीधे तौर पर मुझे 10-10-2008 को गिरफ्तार नहीं किया गया. मुंबई में पूछताछ के लिए ले जाने की बाबत मुझे कोई सम्मन भी नहीं दिया गया. जबकि मैं चाहती तो मैं सावंत को अपने आश्रम ही आकर पूछताछ करने के लिए मजबूर कर सकती थी क्योंकि एक नागरिक के नाते यह मेरा अधिकार है. लेकिन मैंने सावंत पर विश्वास किया और उनके साथ बातचीत के दौरान मैंने कुछ नहीं छिपाया. मैं सावंत के साथ मुंबई जाने के लिए तैयार हो गयी. सावंत ने कहा कि मैं अपने पिता से भी कहूं कि वे मेरे साथ मुंबई चलें. मैंने सावंत से कहा कि उनकी बढ़ती उम्र को देखते हुए उनको साथ लेकर चलना ठीक नहीं होगा. इसकी बजाय मैंने भीमाभाई को साथ लेकर चलने के लिए कहा जिनके घर में एटीएस मुझसे पूछताछ कर रही थी.

शाम को 5.15 मिनट पर मैं, सावंत और भीमाभाई सूरत से मुंबई के लिए चल पड़े. 10 अक्टूबर को ही देर रात हम लोग मुंबई पहुंच गये. मुझे सीधे कालाचौकी स्थित एटीएस के आफिस ले जाया गया था. इसके बाद अगले दो दिनों तक एटीएस की टीम मुझसे पूछताछ करती रही. उनके सारे सवाल 29-9-2008 को मालेगांव में हुए विस्फोट के इर्द-गिर्द ही घूम रहे थे. मैं उनके हर सवाल का सही और सीधा जवाब दे रही थी.

अक्टूबर को एटीएस ने अपनी पूछताछ का रास्ता बदल दिया. अब उसने उग्र होकर पूछताछ करना शुरू किया. पहले उन्होंने मेरे शिष्य भीमाभाई पसरीचा (जिन्हें मैं सूरत से अपने साथ लाई थी) से कहा कि वह मुझे बेल्ट और डंडे से मेरी हथेलियों, माथे और तलुओं पर प्रहार करे. जब पसरीचा ने ऐसा करने से मना किया तो एटीएस ने पहले उसको मारा-पीटा. आखिरकार वह एटीएस के कहने पर मेरे ऊपर प्रहार करने लगा. कुछ भी हो, वह मेरा शिष्य है और कोई शिष्य अपने गुरू को चोट नहीं पहुंचा सकता. इसलिए प्रहार करते वक्त भी वह इस बात का ध्यान रख रहा था कि मुझे कोई चोट न लग जाए. इसके बाद खानविलकर ने उसको किनारे धकेल दिया और बेल्ट से खुद मेरे हाथों, हथेलियों, पैरों, तलुओं पर प्रहार करने लगा. मेरे शरीर के हिस्सों में अभी भी सूजन मौजूद है.

13 तारीख तक मेरे साथ सुबह, दोपहर और रात में भी मारपीट की गयी. दो बार ऐसा हुआ कि भोर में चार बजे मुझे जगाकर मालेगांव विस्फोट के बारे में मुझसे पूछताछ की गयी. भोर में पूछताछ के दौरान एक मूछवाले आदमी ने मेरे साथ मारपीट की जिसे मैं अभी भी पहचान सकती हूं. इस दौरान एटीएस के लोगों ने मेरे साथ बातचीत में बहुत भद्दी भाषा का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. मेरे गुरू का अपमान किया गया और मेरी पवित्रता पर सवाल किये गये. मुझे इतना परेशान किया गया कि मुझे लगा कि मेरे सामने आत्महत्या करने के अलावा अब कोई रास्ता नहीं बचा है.

14 अक्टूबर को सुबह मुझे कुछ जांच के लिए एटीएस कार्यालय से काफी दूर ले जाया गया जहां से दोपहर में मेरी वापसी हुई. उस दिन मेरी पसरीचा से कोई मुलाकात नहीं हुई. मुझे यह भी पता नहीं था कि वे (पसरीचा) कहां है. 15 अक्टूबर को दोपहर बाद मुझे और पसरीचा को एटीएस के वाहनों में नागपाड़ा स्थित राजदूत होटल ले जाया गया जहां कमरा नंबर 315 और 314 में हमे क्रमशः बंद कर दिया गया. यहां होटल में हमने कोई पैसा जमा नहीं कराया और न ही यहां ठहरने के लिए कोई खानापूर्ति की. सारा काम एटीएस के लोगों ने ही किया.

मुझे होटल में रखने के बाद एटीएस के लोगों ने मुझे एक मोबाईल फोन दिया. एटीएस ने मुझे इसी फोन से अपने कुछ रिश्तेदारों और शिष्यों (जिसमें मेरी एक महिला शिष्य भी शामिल थी) को फोन करने के लिए कहा और कहा कि मैं फोन करके लोगों को बताऊं कि मैं एक होटल में रूकी हूं और सकुशल हूं. मैंने उनसे पहली बार यह पूछा कि आप मुझसे यह सब क्यों कहलाना चाह रहे हैं. समय आनेपर मैं उस महिला शिष्य का नाम भी सार्वजनिक कर दूंगी.

एटीएस की इस प्रताड़ना के बाद मेरे पेट और किडनी में दर्द शुरू हो गया. मुझे भूख लगनी बंद हो गयी. मेरी हालत बिगड़ रही थी. होटल राजदूत में लाने के कुछ ही घण्टे बाद मुझे एक अस्पताल में भर्ती करा दिया गया जिसका नाम सुश्रुसा हास्पिटल था. मुझे आईसीयू में रखा गया. इसके आधे घण्टे के अंदर ही भीमाभाई पसरीचा भी अस्पताल में लाये गये और मेरे लिए जो कुछ जरूरी कागजी कार्यवाही थी वह एटीएस ने भीमाभाई से पूरी करवाई. जैसा कि भीमाभाई ने मुझे बताया कि श्रीमान खानविलकर ने हास्पिटल में पैसे जमा करवाये. इसके बाद पसरीचा को एटीएस वहां से लेकर चली गयी जिसके बाद से मेरा उनसे किसी प्रकार का कोई संपर्क नहीं हो पाया है.

इस अस्पताल में कोई 3-4 दिन मेरा इलाज किया गया. यहां मेरी स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा था तो मुझे यहां से एक अन्य अस्पताल में ले जाया गया जिसका नाम मुझे याद नहीं है. यह एक ऊंची ईमारत वाला अस्पताल था जहां दो-तीन दिन मेरा ईलाज किया गया. इस दौरान मेरे साथ कोई महिला पुलिसकर्मी नहीं रखी गयी. न ही होटल राजदूत में और न ही इन दोनो अस्पतालों में. होटल राजदूत और दोनों अस्पताल में मुझे स्ट्रेचर पर लाया गया, इस दौरान मेरे चेहरे को एक काले कपड़े से ढंककर रखा गया. दूसरे अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद मुझे फिर एटीएस के आफिस कालाचौकी लाया गया.

इसके बाद 23-10-2008 को मुझे गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तारी के अगले दिन 24-10-2008 को मुझे मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, नासिक की कोर्ट में प्रस्तुत किया गया जहां मुझे 3-11-2008 तक पुलिस कस्टडी में रखने का आदेश हुआ. 24 तारीख तक मुझे वकील तो छोड़िये अपने परिवारवालों से भी मिलने की इजाजत नहीं दी गयी. मुझे बिना कानूनी रूप से गिरफ्तार किये ही 23-10-2008 के पहले ही पालीग्रैफिक टेस्ट किया गया. इसके बाद 1-11-2008 को दूसरा पालिग्राफिक टेस्ट किया गया. इसी के साथ मेरा नार्को टेस्ट भी किया गया.

मैं कहना चाहती हूं कि मेरा लाई डिटेक्टर टेस्ट और नार्को एनेल्सिस टेस्ट बिना मेरी अनुमति के किये गये. सभी परीक्षणों के बाद भी मालेगांव विस्फोट में मेरे शामिल होने का कोई सबूत नहीं मिल रहा था. आखिरकार 2 नवंबर को मुझे मेरी बहन प्रतिभा भगवान झा से मिलने की इजाजत दी गयी. मेरी बहन अपने साथ वकालतनामा लेकर आयी थी जो उसने और उसके पति ने वकील गणेश सोवानी से तैयार करवाया था. हम लोग कोई निजी बातचीत नहीं कर पाये क्योंकि एटीएस को लोग मेरी बातचीत सुन रहे थे. आखिरकार 3 नवंबर को ही सम्माननीय अदालत के कोर्ट रूम में मैं चार-पांच मिनट के लिए अपने वकील गणेश सोवानी से मिल पायी.

10 अक्टूबर के बाद से लगातार मेरे साथ जो कुछ किया गया उसे अपने वकील को मैं चार-पांच मिनट में ही कैसे बता पाती? इसलिए हाथ से लिखकर माननीय अदालत को मेरा जो बयान दिया था उसमें विस्तार से पूरी बात नहीं आ सकी. इसके बाद 11 नवंबर को भायखला जेल में एक महिला कांस्टेबल की मौजूदगी में मुझे अपने वकील गणेश सोवानी से एक बार फिर 4-5 मिनट के लिए मिलने का मौका दिया गया. इसके अगले दिन 13 नवंबर को मुझे फिर से 8-10 मिनट के लिए वकील से मिलने की इजाजत दी गयी. इसके बाद शुक्रवार 14 नवंबर को शाम 4.30 मिनट पर मुझे मेरे वकील से बात करने के लिए 20 मिनट का वक्त दिया गया जिसमें मैंने अपने साथ हुई सारी घटनाएं सिलसिलेवार उन्हें बताई, जिसे यहां प्रस्तुत किया गया है.

Monday, June 18, 2012

कोसीकलां (मथुरा) दंगे का पूरा सच


































कोसीकलां दंगे का प्रारंभ और क्रमवार विश्लेषण

१ जून २०१२, दिन शुक्रवार, तिथि निर्जला एकादशी, समय दोपहर २ बजे

मुस्लिम समुदाय के जुमे की नमाज का समय| कोसीकलां में जिंदगी अपनी गति से बढ़ रही थी| दोपहर की नमाज समाप्त होने के पश्चात् सब्जी मंडी में एक व्यापारी देवा ने एक ग्राहक को सामान दे कर मस्जिद के निचे रखे ड्रम के पानी से हाथ धो लिया| उसी समय मस्जिद से निचे उतर रहे खालिद शेख ने व्यापारी देवा को ऐसा करते देख लिया और उसे फटकार  दिया| देवा ने कहा की अगर आपका पानी ख़राब हो गया तो मैं क्षमा मांगता हूँ और ड्रम को दोबारा भरवा देता हूँ| देवा ने दोबारा ड्रम को पानी से भरवा दिया| दोबारा पानी भरवा देने के बाद भी खालिद शेख अपने अहंकारवश देवा से मारपिट चालू कर दिया| खालिद के ऐसा करने का अन्य हिन्दू व्यापारी बन्धुवों ने विरोध किया| लेकिन खालिद ने मस्जिद से अन्य मुस्लिमों को बुला लिया हिन्दुओं के साथ बर्बरता पूर्वक मारपीट करता हुआ मस्जिद में वापस चला गया और उसके बाद मस्जिद में उपस्थित मुस्लिमो ने हिन्दुओं पर मस्जिद के अन्दर से ही पथराव चालू कर दिया| इतना ही नहीं खालिद ने कोसी नगर के मुस्लिम बहुल इलाके "निकासे" के मुस्लिमो को ये सुचना दे दी की हमारी मस्जिद को हिन्दुओं ने घेर लिया है और हमारे ऊपर हमला कर रहे हैं| ज्ञात हो की खालिद शेख ६ महिना भारत में रहता है और ६ महिना सउदी अरब में रहता है| वह सउदी अरब से कोसीकलां और उसके आसपास के क्षेत्रों के सभी मस्जिदों के लिए हवाला के जरिये धन मुहैया करता है| इतना ही नहीं खालिद शेख आई०एस०आई० का एजेंट भी है और मुस्लिम हितैषी सरकार जैसे कांग्रेस और सपा के साथ प्रगाढ़ सम्बन्ध बनाये हुए है और उनके हमेसा संपर्क में रहता है|
कोसीकलां का पाकिस्तान कहे जाने वाले मुस्लिम बहुल क्षेत्र "निकासे" से सैकड़ों की संख्या में उग्र मुसलमानों की भीड़ अपना आतंकवादी रूप दिखाते हुए अपने विभिन्न प्रकार के घातक  हथियारों जैसे बम, पिस्तौल, पेट्रोल बम इत्यादि से लैस हो कर हिन्दुओं पर हमला करते हुए उक्त मस्जिद की तरफ बढ़ने लगे| लेकिन सब्जी मंडी मस्जिद और निकासे के बिच स्थित  हिन्दू बहुल क्षेत्र "बल्देव गंज" के हिन्दू भाइयों ने निकासे के मुस्लिमो को मुहतोड़ जवाब दिया  | इसपर गुस्साए मुसलमानों ने तबाही का जो मंजर प्रस्तुत किया वो दिल दहला देने वाला था|

निकासे सीमा पर स्थित पंजाब नेसनल बैंक में घुस कर मुसलमानों ने सिर्फ वहां की संपत्ति को केवल भारी नुकसान ही पहुँचाया बल्कि लूटपाट का भी प्रयास किया| इसका पूरा विवरण बैंक के सीसीटीवी कैमरे में कैद है जिसे अगर प्रदेश सरकार चाहे तो देख सकती है| लूटपाट में असफल होने के पश्चात् मुसलमानों ने बैंक को आग के हवाले कर दिया| बैंक के बाहर मुस्लिम दंगाई और बैंक के अन्दर आग| इसके बावजूद भी बैंक के अन्दर उपस्थित स्टाफ, कर्मचारियों और ग्राहकों ने इधर-उधर शरण ले कर जैसे-तैसे अपनी जान बचाई| मुसलमानों का गुस्सा और आतंकवादी गतिविधियाँ यही नहीं थमीं| मुसलमानों ने निकासे सीमा पर स्थित लगभग सभी हिन्दू घरों में घुस कर ना सिर्फ तोड़-फोड़ और लूटपाट करी बल्कि वहां मौजूद  हिन्दू माताओं और बहनों से भी बड़ी ही अश्लीलता पूर्ण बद्तामिजियाँ कीं| दंगाइयों ने हिन्दुओं के घरों के निचे रखी उनकी कारों को आग के हवाले कर दिया| जिसके कारण कई हिन्दुओं के घर जल कर खाक हो गए| हिन्दुओं में बल्देव गंज और निकासे सीमा पर स्थित आर०के० गर्ग, गुड्डू हतानियाँ, किशन पंडित और प्रतिक जैन इत्यादि हिन्दू भाइयों के घर, वाहन, दुकान और गोदाम आदि की भारी हानी हुई| इनकी माता बहनों के साथ घर में घुस कर अमानवीय रूप से बदतमीजी की गई| मुस्लिम दंगाइयों ने आने-जाने वाले हिन्दू राहगीरों के करीब २ दर्जन वाहनों को आग के हवाले कर दिया और इनके साथ बड़ी बेरहमी से मारपीट कर बुरी तरह घायल कर दिया| मुस्लिम दंगाइयों की संख्या अचानक से इतनी बढ़ गई की इनका सामना करने का साहस किसी में नहीं था| यहाँ मुस्लिम दंगाई बल्देव गंज के युवाओं पर लगातार पत्थर और बम इत्यादि से हमले कर रहे थे| हिन्दुओं के पास मुसलमानों के सामान हथियार नहीं थे क्यूंकि प्रदेश सरकार ने अपने चुनाव पूर्व वादे के हिसाब से मुस्लिम बस्तियों में कैम्प लगा कर 1 दिन में ही करीब 200 पिस्तौल के लाइसेंस बांटे थे और ये पहला वादा था जो अखिलेश सिंह यादव की सपा सरकार ने पूरा किया था फिर भी उपलब्ध हथियारों से बल्देव गंज के हिन्दू युवाओं ने इन मुस्लिम आतताइयों का सामना कर इनके हमलों का मुहतोड़ जवाब दिया| मुसलमानों के आक्रोशित और आतंकी जत्थे ने पूरी सब्जी मंडी, अनाज मंडी और अनेक बाजारों इत्यादि को जला कर राख कर दिया|

इस दंगे की सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन घटना स्थलों पर पहुँच तो गया पर एक निरीह मूकदर्शक बन खड़ा रहा बस| मुसलमानों के इस पथराव में कई हिन्दू भाई घायल हो गए| मुस्लमान जब बम और गोलिया चला रहे थे तब ये नहीं देख रहे थे की सामने वा���ा हिन्दू उनका परिचित है या मिलने वाला व्यक्ति है| मुसलमान केवल यह सोच कर हमला कर रहे थे की सामने वाला हिन्दू है और इनको जान से मार डालो| देखते ही देखते एक घंटे के अंतराल में नगर की सभी मस्जिदों से हिन्दुओं पर पथराव और बम इत्यादि फेंके जाने लगे| ऐसा लग रहा था की ये हिन्दुओं पर हमला पूर्व नियोजित था और मानो हिन्दुओं पर इस हमले की तैयारी बहुत समय से हो रही थी| ये ठीक वैसे ही था जैसे सुबह ८ बजे गोधरा में २००२ में हजारो लीटर पेट्रोल अचानक से आ गया था जबकि इतने सुबह गुजरात में पेट्रोल पम्प नहीं खुलते हैं| इसके अलावा उन आतताई मुसलमानों का जत्था जहाँ कही से भी निकलता था वहां की हिन्दुओं की चीजों को आग लगाते हुए निकलता था| यह देख नगर के हिन्दू भाई भयभीत हो गए और उन्होंने ने आस पास में ग्रामीण इलाके में रह रहे अपने जानने वालों को फ़ोन पर सुचना दी इन आतंकी मुसलमानों के कृत्य के बारे में की कैसे मुस्लमान विध्वंश और आगजनी कर रहे हैं नगर में| जिसे सुन ग्रामीण इलाके से करीब १०-१५ हजार लोग अपने हाथों में बन्दुक और अन्य हथियार ले कर थोड़ी देर में कोसीकलां पहुँच इन आतंकी मुसलमानों को खदेड़ा|

इस बिच में मुसलमानों ने हिन्दुओं के सैनी मोहल्ले पर हमला बोल दिया| मुसलमानों ने बमबारी से वहां की अनेक महिलाओं को बुरी तरह घायल कर दिया| अनेक मकानों को तहस-नहस कर दिया और उनके घरों को लूटा| अश्लीलता का नंगा नाच वहां भी दिखाया मुसलमानों ने| इसका विरोध करने वाले माली समाज के एक युवक सोनू को गोलियों से छलनी कर दिया इन मुसलमानों ने| सोनू की मौके पर ही ह्रदय विदारक चीखों के साथ मृत्यु हो गई| उन दंगाइयों के जाने के बाद पुलिस भी पर्याप्त बल के साथ वहां पहुँच गई| इसके साथ ही आर०आर०एफ़० और आर०ए०एफ़ की अनेक गाड़ियाँ कोसी में हो रहे दंगे को शांत करने के लिए पहुँच गईं| इस दौरान हमारे ग्रामीण भाइयों ने मुस्लिमो के करीब १ दर्जन दुकानों को आग के हवाले कर दिया| करीब सायं ८ बजे पुलिस ने आकर पुरे नगर में कर्फ्यू लगा दिया| लेकिन कर्फ्यू लगने के बाद भी मुस्लिमो का कहर बंद नहीं हुआ| अर्धरात्रि तक उनके इलाके से गोलियों की आवाजें सुने देती रहीं| 

इसके बाद 1 जून को दंगे वाले रात् को करीब ३ बजे कोसीकलां के मस्जिद से एक ऐलान सुनाई दिया की "सारे मुस्लिम तैयार रहें| अल्लाह तुम्हारे साथ है| ये तो बस एक शुरुवात भर है इंशा अल्लाह इस बार हम सभी मुसलमान मिल कर इन हिन्दुओं का सफाया कर देंगे| यह बड़े शबाब का काम है जो की अल्लाह ने तुमको दिया है| इन काफिरों को मरोगे तो अल्लाह तुम्हे जन्नत बख्सेगा|" यह ऐलान सुन सभी हिन्दू सहम गए और रात भर अपने छतों पर टहलते रहे| खौफ के साये में रात गुजारने के बाद दुसरे दिन नगर की हालत काफी बिगड़ी हुई दिखाई दे रही थी| हर तरफ मृत्यु का सन्नाटा पसरा हुआ था| चारो तरफ बस आगजनी और तबाही का ही मंजर था| मुस्लिम दंगाइयो ने चुन चुन कर ऐसे गोदामों में आग लगाई थी जो हिन्दुओं की थीं और करोडो का सामान रखा हुआ था उसमे| यदि पिछली शाम को ग्रामीण लोग नहीं आये होते नगरीय लोगो की रक्षा हेतु तो शायद नगरीय क्षेत्र हिन्दू विहीन हो चूका होता| ग्रामीण बंधुओं का नगरिय लोग दिल से आभार प्रकट करते हैं|

मथुरा जिले के एस०पी०, एस०एस०पी०, आइ०जी०, डी०आइ०जी० और डी०एम० ही नहीं बल्कि आगरा और अलीगढ के सभी हेड कांस्टेबल, एस०ओ०, एस०डी०एम०, पी०ए०सी०, आर०ए०एफ़, आर०आर०एफ़० ने पुरे कोसीकलां को अपने कब्जे में ले लिया| दंगे के दौरान ड्यूटी पर तैनात सभी प्रशासनिक अधिकारीयों के तबादले कर दिए गए और जो लोग उनकी जगह पर आये वो आज़म खान (शहरी विकास मंत्री), इमाम बुखारी (शाही इमाम दिल्ली जामा मस्जिद) और मौलाना युसूफ मदानी के खास अधिकारी थे| अब इन गुलाम अधिकारीयों के नेतृत्व में दंगे की जाँच शुरू होने लगी| प्रशासन पर दबाव इस कदर था की ये अधिकारी हिन्दुओं के घरों पर ही छापा मारने लगे| मुसलमानों के मात्र कह भर देने से ही हिन्दुओं की धरपकड़ शुरू हो गई| दंगे वाले दिन चाहे कोई हिन्दू कोसीकलां में हो या ना हो उन्हें आरोपी दिखाया जाने लगा| जिन हिन्दुओं का नुकसान हुआ वो भी पुलिस रिकॉर्ड में दंगाई दिखाए गए| अगले माह होने वाले नगर पालिका चुनाव में खड़े होने वाले सभी हिन्दू प्रत्याशियों को दंगाई दिखा कर उनके खिलाफ एफ़०आइ०आर तैयार कर दिया गया| आस-पास के देहात के सभी हिन्दू ग्राम प्रधानों एवं दबंग हिन्दुओं के खिलाफ भी एफ़०आइ०आर दर्ज की गई|
यह प्रथम दृष्टया ही साजिस लग रही थी प्रशासन और सरकार की हिन्दुओं की ताकतें कमजोर करने की और उनके हाथ काट देने की| नई महिला एस०एस०पी० एम० पदमजा, डी०एम० अलोक तिवारी और आइ०जी० मियां जावेद अख्तर ये तीनो पुलस अधिकारी हिन्दू विरोधी और मुस्लिम हितैषी हैं| हिन्दुओं के प्रति इनका व्यव्हार सौतेला रहा है| अब तक हिन्दुओं में से १४ गिरफ्तारियां हो चुकी हैं और गिरफ्तारियां आज भी बदस्तूर जारी हैं जो की रात के अँधेरे में 3 बजे तक में की जा रही हैं वो भी जबरन हिन्दू घरों में घुस कर| और अभी तक में २०० हिन्दुओं के खिलाफ एफ़०आइ०आर० दर्ज हो चूका है और इतना ही नहीं करीब २००० अज्ञात हिन्दू भाइयों को दंगाई दिखा उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज किया गया है| और दिखने के लिए आज़म खान (शहरी विकास मंत्री) के आगमन पर २-४ मुस्लिमों को पकड़ कर उनको राजसी ठाट-बाट के साथ जेल में रखा गया है ताकि ज्यादा हो-हल्ला ना हो|

गौरतलब हो की १ जून दंगे वाले दिन जब हिन्दू बंधुओं के घर और दुकाने जलाई जा रही थीं और हिन्दू महिलाओं के साथ अभद्र और नीच हरकते की जा रही थी और मुस्लिम नुकसान पहुचाते हुए आगे बढ़ रहे थे तब हिन्दुओं ने थाने पर खड़े आइ०जी० से मदद की गुहार लगाई की सब जल रहा है और जलते हुए घरों में हमारी महिलाएं हैं लेकिन आ०जी० के कानो को जैसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था और ना ही उसकी आँखों को कुछ दिखाई दे रहा था| पर जब ग्रामीण हिन्दू भाई अपने नगरीय हिन्दू भाइयों की मदद के लिए आगे बढे तब ग्रामीण हिन्दू भाइयों पर इसी आइ०जी० ने लाठी चार्ज कर उनको तितर बितर करने की कोशिस की| ऐसा ये आइ०जी० इसलिए कर रहा था क्युकी ये खुद भी मुस्लिम है और मुस्लिमों को मौका दे रहा था की तुम्हारे पास मौका है और मैं खड़ा हूँ तुम्हारी रक्षा को जितना नुकसान पहुँचा सकते हो इन हिन्दुओं को उतना नुकसान जल्दी से पहुँचा लो|

दंगे के ४-५ दिन बाद डी०एम० से शांति बहाली के लिए कोसीकलां के व्यापारियों ने गुहार लगाई तो डी०एम० का कहना था कि, "मेरा काम है नगर में शांति व्यवस्था बनाये रखना| यह मेरा काम नहीं है कि आप हिन्दू और मुसलमान आपस में राजीनामा करते हैं ये नहीं| वह आप लोगों का काम है| आप लोग बाजार खोलो या ना खोलो इससे मेरा कोई सरोकार नहीं है| तुम्हारे ऐसा करने से मेरी कोई तनख्वाह नहीं कट रही है| अगर मुझे कोई उपद्रव करते मिल गया तो मैं पहले उसे समझाऊंगा| यदि वो नहीं माना तो उसे डंडों से समझाऊंगा और अगर तब भी नहीं समझा तो उसको मैं गोली से उड़ा दूंगा| "नगर व्यापारियों ने प्रशासन के इस रवैये से क्षुब्ध हो कर कोसीकलां में बाज़ार ना खोलने का निश्चय किया| १ जून शाम से आज तक बाज़ार नहीं खुला है कोसीकलां में| और सड़कों पर केवल सुरक्षा बल के जवान घूमते हुए दिखाई देते हैं| हम हिन्दुओं के घरों में राशन इत्यादि जमा होता है| पर मुसलमान जाती ऐसी होती है कि वो रोज कमाते हैं और रोज राशन खरीद कर खाते हैं| हिन्दुओं का अनुमान था कि हमारे बाजार ना खोलने से मुसलमानों के हौसले पस्त हो जायेंगे और वो राजीनामा को मजबूर हो जायेंगे| लेकिन हिन्दुओं का अनुमान गलत साबित हुआ| जैसे ही कर्फ्यू में ढील हुई या सोच समझ कर ढील दी गई मुसलमानों ने अपने औरतों और बच्चों को अपने रिश्तेदारों के यहाँ भेज दिया| अब नगर में उग्रवादी, कट्टरवादी और दंगाई किस्म के मुस्लिम रह गए हैं जो कि संख्या में बहुत अधिक हैं| 

दंगो के तीसरे दिन से दिल्ली के जामा मस्जिद कि तरफ से ट्रक भर कर राशन, सब्जियां, फल इत्यादि आने शुरू हो गए और गौर करने वाली बात है कि प्रशासन ने इसके लिए कोई रोक-टोक नहीं कि यहाँ तक कि इन ट्रकों को जांचने का कार्य भी नहीं किया गया| बल्कि इसके इतर प्रशासन ने मुस्लिम बस्तियों में टैंकर भर कर पानी भिजवाना शुरू कर दिया और हिन्दू मोहल्लों में पानी कि सप्प्लाई पर रोक लगा दिया गया| हिन्दुओं में इस बात का काफी रोष व्याप्त हो गया क्यूंकि हिन्दुओं के घरों में पानी कि किल्लत और एक वर्ग विशेष को इतनी सुविधा वो भी प्रशासन के तरफ से हिन्दुओं के तरफ से हिन्दुओं और मुसलमानों में सुलह के लिए आज तक ४ कोशिशें कि जा चुकी हैं| लेकिन अफ़सोस कि तीनो बार मुसलमानों ने इन राजीनामे से मना कर दिया| यही नहीं पूरा मेवात क्षेत्र जहाँ करीब १८ लाख मेव-मुस्लिम रहते हैं उन्होंने मुस्लिमो कि हर तरह कि सहायता करने का खुल्ला ऐलान कर दिया| इसमें हरियाणा के नूंह, पुन्हाना आदि मेवात क्षेत्र काफी सक्रिय हैं|

वहीँ चौथे दौर कि संधि प्रयास में कोसीकलां के कांग्रेस समर्थित आर एल डी के सेकुलर विधायक ठाकुर तेजपाल सिंह ने एक बैठक कि जिसका मुख्या मुद्दा था शांति बहाल करना पर इन्होने जो किया वो हिंदुत्व को शर्मसार करने वाला था| ये विधायक महोदय मुसलमानों के इतने अत्याचार के बावजूद हिन्दुओं को ही भाई चारे का पाठ पढ़ा रहे थे| शायद इन विधायक महोदय को अपनी कुर्सी बचाने की ज्यादा चिंता थी| पर कोसीकलां के हमारे हिन्दू भाइयों ने इन्हें टका सा जवाब दे दिया की हमें नहीं चाहिए शांति और हम अब अपने तरीके से निपट लेंगे इन अधर्मी मुसलमानों से आप विधायक महोदय अपने मुस्लमान भाइयों के साथ मस्ती करो|
यह सर्वविदित है कि उत्तर प्रदेश कि सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी सरकार जिसके मुखिया मुलायम सिंह यादव हैं वह हिन्दू विरोधी और मुसलमान परस्त पार्टी है| उसने इस बार उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार बनाने के चक्कर में मुसलमानों को अपने मंत्रिमंडल में बड़े तौर पर तरजीह दी है। आज़म खान जो कि शहरी विकास मंत्री है वो कट्टरवादी मुस्लिम है, वह कोसीकलां आया और उसने केवल मुसलमानों के हित कि ही बातें करीं| कोसीकलां के मुसलमानों को उसने न्याय दिलाने और प्रशासन से सहायता दिलाने का पूरा भरोसा दिया| आज़म खान ने हिन्दुओं को भी सब कुछ ठीक करने का वादा किया पर उसके चेहरे से साफ़ झलक रहा था कि जो भी वादा आज़म खान कर रहा था हिन्दुओं से वो केवल उपरी मन से था| दरअसल आज़म खान ने पर्दे के पीछे मुसलमानों कि पीठ थपथपाई और उनको अभयदान दिया|

आज़म खान के जाने के बाद उसी रात कोसीकलां के रिहाइशी इलाके आर्यनगर के एक बनिया व्यावसायी के घर और उसके निचे बनी दुकान को किसी मुसलमान ने जला दिया जिस वजह से उस व्यावसायी को लाखों का नुकसान हुआ| सुबह पुलिस आई और जबरदस्ती उस पीड़ित व्यावसायी परिवार से लिखवा कर ले गई कि ये आग शार्ट-सर्किट के चलते लगी थी| इस घटना कि दूसरी रात को फिर किसी मुसलमान ने एक और बनिया व्यावसायी के बाईपास स्थित दोना-पत्तल, मुन्जवान, रस्सी और झाड़ू के गोदाम को आग के हवाले कर दिया| इस बार भी पुलिस सुबह ही आई और पुलिस ने उस व्यापारी पर प्रशासनिक दबाव देकर लिखवा लिया कि ये आग भी शार्ट-सर्किट के चलते लगी है| जबकि सत्यता यह थी कि इस गोदाम में ना तो कोई बिजली के तार कि फिटिंग थी और ना ही कोई बिजली का कनेक्सन था| नगर के हिन्दुओं में रोष चरम पर है पर परेशानी ये है कि अगर विरोध प्रदर्शन किया तो जैसे प्रशासन बराबर धमकी दे रहा है कि हिन्दुओं पर रासुका लगा जेल में डाल दिया जायेगा|

मुस्लिमों के जुल्म कि इन्तेहाँ तब हो गई जब उन्होंने अपने इलाके में कर्फ्यू लगा होने के बावजूद हमारी गौमाता कि हत्या कर कूड़े के ढेर में फेंक दिया| यह एक करारा तमाचा था हम हिन्दुओं के मुँह पर और चेतावनी थी यह मुसलमानों कि तरफ से कि देख लो कितना भी कर्फ्यू हो पर हम तो ऐसा ही करेंगे| और तुम हिन्दू अगर रोक सकते हो तो रोक कर दिखा दो| इस बार भी पुलिस बहुत देर से पहुंची और बिना छानबीन किये कि ये गाय आई कहाँ से और किसने इसे मारा पुलिस ने गाय का पोस्टमार्टम करा गौमाता को धरती में गडवा दिया| और इतना पर ही नहीं रुके पुलिस वाले उन्होंने वहां उपस्थित पत्रकारों को ये धमकी दी कि ये किसी भी न्यूज़ में नहीं छापना चाहिए कि मुसलमानों के इलाके में गाय का शव मिला है|

कोसीकलां में भाजपा के राजनाथ सिंह जी भी आये| उनको कोसीकलां में प्रवेश नहीं दिया गया| भारी मात्र में पुलिस बल आ गया राजनाथ सिंह जी को रोकने के लिए| कोसीकलां के बाईपास पर ही स्थित एक ढाबे पर रुक कर नगर के पीड़ितों का दर्द सुन कर वो भी अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकते हुए दिखाई दिए| राजनाथ सिंह जी ने कहा कि, "मैं अखिलेश यादव से बात करूँगा कि वो हिन्दुओं के प्रति इतने रूखे क्यों हैं? यह एक तरफ़ा कार्यवाही क्यों कर रहे हैं वो? पूरी भाजपा आपके साथ है| हम जल्दी ही दिल्ली में हिन्दुओं के ऊपर हो रहे इस अत्याचार के विरोध में धरना प्रदर्शन करेंगे| हम कोसीकलां वासियों कि आवाज ऊपर तक पहुचाएंगे| आप लोग घबराये नहीं|" और भी कई बाते इन्होने बोलीं पर कोसीकलां वाशियों को जो राजनाथ सिंह जी और भाजपा से जो आशा थी वो धूमिल होती प्रतीत हुईं|

१३ जून को मुसलमान बस्तियों से यह सूचना आई कि आज हिन्दुओं कि तेरहवीं तो हमने हिन्दुओं कि गौमाता कि हत्या करके कर दी अब इनको दिखाना है कि इनका चालीसवां कैसा होता है| इन मुट्ठी भर मुसलमानों के इतने उछालने का कारन एक ही है कि हम हिन्दुओं का हाथ इस प्रशासन ने काट दिया है और मुसलमानों ने अपनी ताकत इन तेरह दिनों में अच्छे से बढ़ा लिया| क्यूंकि जिन ट्रको में उनके लिए दिल्ली के जामा मस्जिद से खाने पिने का सामान आ रहा है और यहाँ का प्रशासन बिना किसी रोकटोक के उसे मुस्लिम क्षेत्र तक जाने दे रहा है उन ट्रकों में खाने-पिने के सामानों में छुपा कर घटक और स्वचालित हथियार भेजे जा रहे हैं| (ज्ञात हो कि इमाम बनाने के समय और उसके पहले से दिल्ली जामा मस्जिद के मौजूदा इमाम बुखारी बोलते आये हैं कि मुसलमानों कि एक सशत्र सेना बनाने कि और यहाँ तक कि बुखारी ने मुस्लिम लीग के तौर पर अपनी एक मुस्लिम पार्टी बनाने के लिए साल २००० में कश्मीर के अलगाववादी नेता गिलानी से भी मुलाक़ात की थी)| और इन खाना पीना लादे ट्रकों का प्रवेश आजभी बदस्तूर जारी है कोसीकलां के मुस्लिम बहुल इलाके में| अब इतने ही दिनों में मुसलमान हिन्दुवों ओ खुली चेतावनी दे रहा है कि अब चाहे पूरा देहात आ जाये हम हिन्दुओं का मुकाबला कम से कम पुरे दो महीने तक मुकाबला कर सकते हैं| आखिर २ महीने तक लगातार हिन्दुओं से मुकाबला करने कि बात ये मुसलमान अचानक से कैसे करने लगे|

१६ जून को पूर्व निश्चित समझौता सभा में मुसलमान नहीं आये| उनका कहना था कि बाज़ार खोलना हिन्दुओं कि मज़बूरी है उनकी नहीं| हमको तो खाना अल्लाह अपने घर मस्जिदों से दे रहा है| तुम हिन्दुओं कि गर्ज है तभी तो हम मुस्लिमों से राजीनामा करना चाहते हो| बाज़ार ना खोलने से हिन्दू बेहाल होगा ना कि मुसलमान क्यूँकी मुसलमानों के घर खाने पिने कि सामानों से भरा हुआ है| विदित हो कि गत दो माह पूर्व विधानसभा चुनाव होने के बाद कोसीकलां में मुसलमानों कि बस्ती निकासे में तत्कालीन डी०एम० ने स्वयं उपस्थित रह कर और मुस्लिम बस्ती में शिविर लगा कर पुरे २०० पितौलों के लाइसेंस मुस्लिमों को हाँथो-हाँथ आबंटित किये गए| जबकि कानून किसी भी शास्त्र का लाइसेंस बनवाने कि प्रक्रिया में करीब ३ माह से भी अधिक का समय लग जाता है| लेकिन इन मुसलमानों के लिए यह कार्य एक दिन में ही कर दिया गया| और ये कार्य तो एक जगह किया गया जो हमें पता चला हो सकता है ऐसा कार्य उत्तर प्रदेश के हर मुस्लिम इलाके में चोरी छिपे किया गया हो और इसके बारे में किसी को पता ना चला हो| वैसे कोसीकलां के हिन्दुओं ने भी अपनी सुरक्षा हेतु शास्त्रों के लाइसेंस आवंटित किये जाने कि मांग कि जिसे प्रशासन ने ठन्डे बसते या कहें तो कूड़े दान में डाल दिया| शतप्रतिशत मुसलमानों पर इस मेहरबानी के पीछे केवल राजनैतिक समीकरण है|

दिनांक १६ जून से कोसीकलां नगर से सभी लाइसेंस बन्दुकधारि हिन्दुओं से पुलिस उनके हथियार थाने में जमा करने में जीजान से जुट गई है| पर वहीँ दूसरी तरफ मुसलमानों से उनके वैध या अवैध हथियारों को पुलिस जब्त नहीं कर रही है| प्रशासन के इस एक तरफ़ा रवैये को लेकर हिन्दुओं में एक खौफ के साथ-साथ गहरी साजिस का भी अंदेशा हो रहा है जिस कारन हिन्दू बंधुओं में रोष व्याप्त है|

आज मुसलमान हम हिन्दुओं के सर पर नाच रहे हैं| हम हिन्दू यहाँ अपने ही श्री कृष्ण कि नगरी में ऐसे रह रहे हैं जैसे दांतों के बिच हमारी जिह्वा| हमारे इस हँसते खेलते वातावरण और घरौंदों को इन मुसलमानों ने ऐसा बना दिया है जैसे कि हम किसी खंडहर में रह रहे हों| अपने ही नगर और मोहल्ले में हमें ऐसे कैद किया गया है जैसे कि हम जेल में रह रहे हों| सरकार और प्रशासन दोनों ही हम हिन्दुओं के खिलाफ ही कार्यवाही करने को व्याकुल और अति-आतुर हैं| सरकारी और प्रशासनिक दबाव के चलते कोसीकलां के इस भीषण महासंग्राम और खुलेआम जलते घरौंदों को किसी भी टी०वि० चैनल पर नहीं दिखाया जा रहा है और ना ही किसी समाचार पत्र में इसको कोई स्थान मिल रहा है| यही नहीं किसी भी हिंदूवादी नेता को नगर में प्रवेश करने से रोका जा रहा है और उनको प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है| वैसे तो हिन्दू-मुस्लिम के दंगे आये समय में होते रहे हैं उत्तर प्रदेश में, जैसे १९८० में हुवा मोरादाबाद का दंगा जिसने करीब २००० लोगों कि प्राणों कि आहुति ले लिया था और उसमे भी कुछ नहीं किया गया था क्युकी तब केंद्र और प्रदेश में कांग्रेस कि सरकार थी| पर कोसीकलां में १ जून से चल रहे इस दंगे ने गुजरात (गोधरा-२००२) में हुए दंगे कि याद दिला दिया कि १० सालों बाद आज भी मीडिया और मोदी जी के विरोधी कैसे उस दंगे को आये दिन उछालने कि कोशिस करते हैं पर वहीँ भारत देश के बाकि के दुसरे भागों में हुए दंगो जो गुजरात के तर्ज पर ही मुसलमानों ने ही शुरुवात किये उसे बड़े जतन से छिपाया जाता है ताकि किसी को सच्चाई का पता ना चले| जैसे हाल ही में हुहे रामनवमी के बाद हेदराबाद के मंदिरों में गाए और हरा रंग फेके जाने के महा अपराधों को छुपाया गया. हेदराबाद के ही मंज्लिश पार्टी के लीडर अकबरुदीन ओबीसी द्वारा दिया गया फतवा चारमिनार स्थित महालक्ष्मी मंदिर में घंटिया बजवाने पर प्रतिबंद जैसे फतवे.

इसे कहते हैं हिन्दू विरोधी और मुस्लिम परस्ती|