१६ अगस्त 2011 से होने वाला नाटक "झुनझुना चाहिए"
16 अगस्त , 2011 . सुबह 10 बजे ..... हर चैनल की पहेली लाइन....."गांधीवादी" अन्ना हजारे जी बने देश की आवाज़....देश का बच्चा बच्चा कह रहा है...की हमे जनलोकपाल दे दो...(रोटी बाद में दे देना..पहेले जनलोकपाल दे दो)
दोपहर में....अन्ना के साथ पूरा देश
शाम को....अनशन को ८ घंटे ......"गांधीवादी" अन्ना के साथ देश का हर युवक ......
...सब ने कहा हम गाँधी "जी" के रास्ते पर चलेंगे.....
रात ११ बजे.....पूरा देश अन्ना के साथ देश भक्ति गीतों पर झूम रहा है...( ये न्यूज़ सिर्फ इस लिए क्यों की.....सुषमा जी का देश भक्ति गीतों पर झूमना.....नाचना है....और बाकी सबका झूमना....देश के लिए आवाज़ उठाना)
(अब रात हो गयी.....ये बाबा रामदेव का अनशन नहीं है..इस लिए पुलिसे यहाँ अन्ना के अनशन को सुरक्षा दे रही है ...क्यों की बड़ी मम्मी ने कहा है...USA से जहा वो पैसे ठिकाने लगाने गयी है)
सुबह ९ बजे...........अनशन को हुए ...२४ घंटे और ."गांधीवादी" अन्ना जी अभी भी अनशन पर....वो अपनी बात से नहीं हटेंगे ........चाहे जान चली जाए
( जान किस की चली जाए------- देश के हर गरीब की जिसको जनलोकपाल नाम का झुनझुना पकडाया जायेगा)
अबदिन भर के लिए नौकरी मिल गयी है......बुद्दिज़ीबी लोगो को अपनी राय देने के लिए
वो बुद्दिज़ीबी लोग है......वो सारे लोग जो...जिन्होंने देश को तोड़ने में PHD की हो....जैसे अग्निवेश , तीस्ता सीतलवाड...अरुंधती राय और मल्लिका साराभाई
रात को JNU से आये...नक्सली लोगो का इंटरव्यू भी होगा वहा.....आखिर उन्होंने भी पुरे दिन अपने थैलों में पत्थर भर के रखे थे......अग्निवेश को बुरा बोलने वालो के लिए
अब फिर रात और पुलिसे की गार्ड वाली नौकरी शुरू.....(क्यों की भाई.....हर जगह सही लोगो का डर रहता है....जिसे आज कल.....आर एस एस और बाबा रामदेव के नाम से ही जाना जाता है ....)
अब तीसरा दिन.18 अगस्त 2011.....मीडिया वो ही पुरानी क्लिप्स से काम चला लेगा........और बार बार कहेगा....सरकार से बात चल रही है...........अन्ना जी झुकेंगे नहीं....और .बुद्दिज़ीबी लोगो को अपनी राय देने के लिए बार बार बुलाएगा....
तभी खबर आएगी.....
सब शादी के लिए तैयार है......मन्नू भैया (गुलाम मनमोहनसिंह) ने अमेरिका से आये निर्देश के बाद हाँ कर दी है और कपिल सिबल शगुन का जूस ले कर आ रहे है...............
और इसी शादी में नाचने लगेगा...देश का हर एक वो इंसान ...जिसको झुनझुना चहिये था
तभी पीछे से आवाज़ आएगी...अरे तीन दिन हो गए......आज तो सब्जी ले आओ..बाज़ार से या वो भी तुम्हारा जनलोकपाल लाएगा
तभी आम आदमी थैला लेगा..और जाएगा..हस्ते हुए...और भाव सुन कर आएगा...सिर्फ और सिर्फ ....आलू लेकर..........और मुस्कराए हुए सोचेगा..की कभी कोई जनलोकपाल आये गा.....और सब्जी भी सस्ती कर जायेगा....( जो की अब सिर्फ मन्नू भैया की किताब और उनके सरकारी आकड़ो में ही कम होती है )
ये है.....१६ अगस्त 2011 से आने वाला नाटक----------"-झुनझुना चाहिए"
good post
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