राहुल गाँधी किसानो के साथ |
जमीन अधिग्रहण पर हरियाणा सरकार कीनीतियों की देश भर में तारीफ की जाती है।किसानों का हक ना मारा जाए और उन्हें जमीनका सही मुआवजा मिले इसके लिए कांग्रेस केराजकुमार राहुल गांधी हुड्डा सरकार की नीतियोंकी ही मिसाल देते हैं। लेकिन वही हुड्डा सरकार अगर एक ही इलाके में किसानोंकी जमीन पर कब्जा कर ले लेकिन एक ट्रस्ट की जमीन को छोड़ दे तो दावों परसवाल लाजिमी हैं। खासकर तब जब ट्रस्ट राजीव गांधी के नाम पर हो औरउसकी चेयरपर्सन खुद सोनिया गांधी हों।
मामला गुड़गांव के उल्लावास गांव में इंदिरा गांधी आई हॉस्पिटल एंड रिसर्चसेंटर का है। यहां पर राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट की देखरेख में एक अस्पतालबनना है। आठ एकड़ की इस जमीन पर एक बड़े विवाद का पौधा पनप रहा है।इस जमीन के आसपास जितनी भी जमीन है उसे हरियाणा सरकार अधिगृहितकर चुकी है। लेकिन हरियाणा की हुड्डा सरकार ने 6 दिसंबर 2010 को चौंकानेवाला फैसला लिया।
इंदिरा गांधी आई हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की जमीन को अधिग्रहण से अलगकर दिया। यानी आसपास के किसानों और दूसरी सामाजिक संस्थाओं कीजमीन पर तो सरकार ने कब्जा कर लिया लेकिन आई हॉस्पिटल की जमीन कोकब्जा करने के बाद छोड़ दिया गया। सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों हुआतो जवाब ट्रस्ट के कर्ताधर्ताओं के नाम में छुपा है। राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्टकी चेयरपर्सन खुद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं। जबकि राहुल गांधी औरप्रियंका गांधी ट्रस्ट के सदस्य हैं।
अगर सरकार कोई भी जमीन अधिग्रहण के बाद उसके मालिक को वापसलौटाती है तो इसके पूरे नियम हैं। खुद हरियाणा सरकार के दस्तावेज गवाह हैंकि अधिग्रहण के बाद कोई जमीन तब तक वापस नहीं दी जा सकती जब तक किः-
1. जमीन पर निर्माण कार्य पूरा हो चुका हो।
2. जमीन पर पहले से ही कोई फैक्ट्री या दुकान चल रही हो। 3. जमीन पर किसी धार्मिक संस्था ने इमारत बनवाई हो।
4. जमीन अधिग्रहण के एक साल के भीतर ही अपील की गई हो।
5. जमीन का मालिक कॉलोनी के लिए जमीन बेच चुका हो। 6जमीन का मालिक अदालत से आदेश लेकर आए।
लेकिन अदालत में आरोप लगाए जा रहे हैं कि राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट तोसरकार के बनाए 6 नियमों में से किसी को भी पूरा नहीं करता, फिर आखिर उसेकैसे जमीन लौटाई गई? दरअसल हरियाणा सरकार ने गुड़गांव में रिहाइशी औरकमर्शियल इलाके के लिए सेक्टर-58 से लेकर सेक्टर-63 और सेक्टर-65 सेलेकर सेक्टर-67 तक बसाने की योजना बनाई। इसके लिए बाकायदा साल2009 में नोटिफिकेशन जारी करके 1417 एकड़ जमीन का सरकार नेअधिग्रहण कर लिया। इसमें वो जमीन भी शामिल थी जो राजीव गांधीचैरिटेबल ट्रस्ट को ग्राम पंचायत ने लीज पर दी थी। बाद में 46 एकड़ जमीनवापस कर दी गई और यहीं तमाम लोग भड़क उठे।
अगर सरकार कोई भी जमीन अधिग्रहण के बाद उसके मालिक को वापसलौटाती है तो इसके पूरे नियम हैं। खुद हरियाणा सरकार के दस्तावेज गवाह हैंकि अधिग्रहण के बाद कोई जमीन तब तक वापस नहीं दी जा सकती जब तक किः-
1. जमीन पर निर्माण कार्य पूरा हो चुका हो।
2. जमीन पर पहले से ही कोई फैक्ट्री या दुकान चल रही हो। 3. जमीन पर किसी धार्मिक संस्था ने इमारत बनवाई हो।
4. जमीन अधिग्रहण के एक साल के भीतर ही अपील की गई हो।
5. जमीन का मालिक कॉलोनी के लिए जमीन बेच चुका हो। 6जमीन का मालिक अदालत से आदेश लेकर आए।
लेकिन अदालत में आरोप लगाए जा रहे हैं कि राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट तोसरकार के बनाए 6 नियमों में से किसी को भी पूरा नहीं करता, फिर आखिर उसेकैसे जमीन लौटाई गई? दरअसल हरियाणा सरकार ने गुड़गांव में रिहाइशी औरकमर्शियल इलाके के लिए सेक्टर-58 से लेकर सेक्टर-63 और सेक्टर-65 सेलेकर सेक्टर-67 तक बसाने की योजना बनाई। इसके लिए बाकायदा साल2009 में नोटिफिकेशन जारी करके 1417 एकड़ जमीन का सरकार नेअधिग्रहण कर लिया। इसमें वो जमीन भी शामिल थी जो राजीव गांधीचैरिटेबल ट्रस्ट को ग्राम पंचायत ने लीज पर दी थी। बाद में 46 एकड़ जमीनवापस कर दी गई और यहीं तमाम लोग भड़क उठे।
65 लोगों ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सरकार के फैसलेको चुनौती दी है। उन्होंने एक और नियम के तोड़े जाने का आरोप लगाया है।नियम कहता है कि अगर अधिग्रहित जमीन सरकार वापस करती है तो येजमीन उसके मालिक को वापस की जाती है, लेकिन यहां अधिग्रहण रद्द करनेके बाद वो जमीन ग्राम पंचायत को नहीं लौटाई गई बल्कि राजीव गांधीचैरिटेबल ट्रस्ट को दे दी गई। आखिर क्यों?सरकार ने जिस 1417 एकड़ जमीनका अधिग्रहण किया उसकी चपेट में पद्मश्री से सम्मानित मशहूर चित्रकारअंजलि इला मेनन की जमीन भी आई। उनके वकील का आरोप है कि सरकारकिसी ट्रस्ट को ये कहकर फायदा नहीं पहुंचा सकती कि वो एक चैरिटेबल ट्रस्टहै। उनकी मानें तो मेनन भी एक चैरिटेबल ट्रस्ट चलाती हैं लेकिन उन्हें किसीतरह की छूट नहीं दी गई और इसलिए अब अदालत में हुड्डा सरकार को सांपसूंघा हुआ है। अदालत में कई बार पूछे जाने पर भी राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्टका नाम तक लेने से डर रही है सरकार।
दस्तावेजों से घिरी हरियाणा सरकार ने कोर्ट में बचने के लिए दांव खेलना शुरूकर दिया है। ट्रस्ट का नाम आते ही सरकार पूरे मामले की समीक्षा के लिए हाईपावर कमेटी बनाने के लिए तैयार हो गई। इस पर कोर्ट ने हरियाणा सरकार कोजमकर फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि 'सरकार जब रंगे हाथों पकड़ी गई हैतो वो मामले से भागने की फिराक में है।' जस्टिस जसबीर सिंह और जस्टिसऑगस्टीन मसीह की बेंच ने कहा कि 'जिस तरह का व्यवहार सरकार आमजनता के साथ कर रही है अदालत ये कतई बर्दाश्त नहीं कर सकती।'अदालत नेकहा कि 'वो इस पक्षपात को देख कर हैरान है और सरकार को इसे अब रोकनाहोगा।' अदालत ने सरकार को हिदायत दी कि वो सबके साथ अच्छा और समानबर्ताव करे। जाहिर है पूरे मामले ने हरियाणा सरकार की जमीन अधिग्रहण नीतिपर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब आईबीएन-7 ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में इसकेस की पैरवी कर रहे एडवोकेट जनरल से बात करने की कोशिश की तो वोकैमरे से बचते हुए निकल गए। हरियाणा सरकार फिलहाल इस मसले पर कुछनहीं बोलना चाहती।
अक्सर राहुल गांधी गैर-कांग्रेसी राज्यों में जाकर हरियाणा की जमीनअधिग्रहण नीति की तारीफ करते हैं लेकिन जिस तरीके से हुड्डा सरकार नेराजीव गांधी ट्रस्ट को नियम-कायदे ताक पर रखकर छूट दी उससे तो यहीऐहसास होता है कि हरियाणा में जमीन अधिग्रहण का डंडा सिर्फ कमजोरजनता पर चलता है जबकि प्रभावशाली लोगों को हरियाणा सरकार कानून ताकपर रखकर फायदा पहुंचा देती है। बहरहाल सरकार की इस नीति से कोर्ट नाराजहै और अब हरियाणा सरकार को हाईकोर्ट के सामने इस मामले पर अपनीसफाई देनी है।
दस्तावेजों से घिरी हरियाणा सरकार ने कोर्ट में बचने के लिए दांव खेलना शुरूकर दिया है। ट्रस्ट का नाम आते ही सरकार पूरे मामले की समीक्षा के लिए हाईपावर कमेटी बनाने के लिए तैयार हो गई। इस पर कोर्ट ने हरियाणा सरकार कोजमकर फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि 'सरकार जब रंगे हाथों पकड़ी गई हैतो वो मामले से भागने की फिराक में है।' जस्टिस जसबीर सिंह और जस्टिसऑगस्टीन मसीह की बेंच ने कहा कि 'जिस तरह का व्यवहार सरकार आमजनता के साथ कर रही है अदालत ये कतई बर्दाश्त नहीं कर सकती।'अदालत नेकहा कि 'वो इस पक्षपात को देख कर हैरान है और सरकार को इसे अब रोकनाहोगा।' अदालत ने सरकार को हिदायत दी कि वो सबके साथ अच्छा और समानबर्ताव करे। जाहिर है पूरे मामले ने हरियाणा सरकार की जमीन अधिग्रहण नीतिपर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब आईबीएन-7 ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में इसकेस की पैरवी कर रहे एडवोकेट जनरल से बात करने की कोशिश की तो वोकैमरे से बचते हुए निकल गए। हरियाणा सरकार फिलहाल इस मसले पर कुछनहीं बोलना चाहती।
अक्सर राहुल गांधी गैर-कांग्रेसी राज्यों में जाकर हरियाणा की जमीनअधिग्रहण नीति की तारीफ करते हैं लेकिन जिस तरीके से हुड्डा सरकार नेराजीव गांधी ट्रस्ट को नियम-कायदे ताक पर रखकर छूट दी उससे तो यहीऐहसास होता है कि हरियाणा में जमीन अधिग्रहण का डंडा सिर्फ कमजोरजनता पर चलता है जबकि प्रभावशाली लोगों को हरियाणा सरकार कानून ताकपर रखकर फायदा पहुंचा देती है। बहरहाल सरकार की इस नीति से कोर्ट नाराजहै और अब हरियाणा सरकार को हाईकोर्ट के सामने इस मामले पर अपनीसफाई देनी है।
नोट:- आईबीन ७ और एनडीटीवी की खबर के अधार पर
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