अब इस पर
अंधी-गूंगी-भांड मीडिया का कहना है की बोडो डोमिनेटेड गाँव थे ये| और गैर
बोड़ोज ने जलाया| ऐसा हर जगह के दंगे में होता है की हिन्दू शब्द का तो
धड़ल्ले से उपयोग होता है लेकिन मुसलमान कहने में इन हरामखोर मीडिया वालों
की नानी या अम्मी मरने लगती है| क्या इन कुत्तों को ये नहीं पता है की ये
नंगनाच करने वाले और कोई नहीं बल्कि कांग्रेस नाम की खजुहट के द्वारा बसाये
गए महान बंगलादेशी कुत्ते हैं जो इन मीडिया वालों की अम्मी कांग्रेस को
वोट देते हैं|
अब मीडिया के सम्राट कहे जाने वाले राजदीप सरदेसाई
को ही लीजिये उन्होंने ने तो बड़ी बेबाकी से अपने जीजाओं का पक्ष लेते हुए
ट्विटर पर साफ़-साफ़ लहजे में कह दिया था की जब तक आसाम में १००० हिन्दू
नहीं मर जाते हैं तब तक इनका चैनल इस न्यूज़ को नहीं दिखायेगा क्यूंकि
गुजरात में १००० लोग मरे थे लेकिन यहाँ भी इस चाटुकार दलाल ने गोधरा नहीं
भौंका और नाही दिल्ली का कत्लेआम क्यूंकि इसकी अम्मा इसकी पगार बंद कर देगी
जो इस दल्ले के घर पर इसको मिठाई के कार्टून में भेजी जाती है|
अब तरुण गगोई तो इससे भी आगे निकल कर कह रहे हैं की ये दंगे थोड़े समय के
लिए हैं अस्थाई हैं....अब जरा कोई इस हरामखोर से पूछे की स्थाई और अस्थाई
दंगे में भेद क्या है और ये दंगा हुआ क्यूँ? इस खजुहट ने तो यहाँ तक कहा की
केवल ३०००० हिन्दू ही तो विस्थापित हुए हैं जबकि एक क्षेत्रीय अख़बार की
माने तो १,३०,००० और क्षेत्रीय लोगों की मानें तो करीब २,००,००० से भी
ज्यादा हिन्दू शरणार्थी शिविरों में रहने को बाध्य हैं| मतलब दूसरा कश्मीर|
अब जहाँ तक सुनने में आ रहा है की जब बोड़ोज पुराने अलगाववादी बोड़ोज के
साथ मिल कर इन बंगलादेशी और कांग्रेस पोषित कुत्तों को मारने लगे तो खजुहट
कांग्रेस ने तुरंत अपने दामादों की रक्षा के लिए अतिरिक्त १५०० सेना के
जवानों को भेज दिया आसाम| जब बोड़ोज मारे जा रहे थे तब क्या १० जनपथ में
मिठाई बंट रही थी| और अब बोड़ोज की द्वारा अपने दामादों और जीजाओं की कटाई
से दुखित पुरे "युपिए" के मुस्लिम नेता सांसद रहमानी के नेतृत्व में अघोषित
प्रधानमंत्री और बंगलादेशी कुत्तों की सास सोनिया और ससुर अहमद पटेल से
मिलने आ रहे हैं|
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