किशन बाबूराव हजारे की गैंग ने हालिया 9 दिन के ताजा अनशन के नाम पर भी पूरे देश को गधा बनाया, भूखे होने पर शरीर में ग्लूकोज की कमी के बाद भी इन तीनों के शरीर में जिस तरह से कीटोने बोडीज ऊपर नीचे होती रही वो किसी 'चमत्कार' से संभव है या 'स्टील के गिलासों' में कुछ लेने से।
कोई व्यक्ति यदि भूखा रहे तो 24-48 घंटों में उसकी जमा उर्जा के बाद शरीर अपने में जमा fat को काम में लेना शुरू करता है, कीटोन इसी प्रकिया में उत्पन्न होता है, पर इन तीनों (अरविंद, मनीष और गोपाल) के शरीर में जाने किस दैवीय चमत्कार या नई पार्टी बनाने की खुशी में अनशन के बाद कीटोन में गिरावट दर्ज की गई जो IAC द्वारा उपलब्ध कराये गये आंकडों में भी दर्ज है। आश्चर्य है कि कई तथाकथित "बुद्धुजीवी" अभी भी अन्ना गैंग को ठीक और देश के लिये काम करने वाला ठहराने की कुत्सित कोशिशों में लगे हैं।
जरा सोचिये एक भयंकर सुगर पीड़ित अरविन्द केजरीवाल केसे १० दिन भूखा रह सकता है ये संभव ही नहीं है क्योंकी सुगर की बीमारी में ज्यादा देर भूखे रहना जनलेवा होता है सुगर की बीमारी में पीड़ित व्यक्ति को डॉक्टर थोड़ी थोड़ी देर में कुछ लेते रहने की सलाह देते है फिर अरविन्द केजरीवाल केसे १० दिन भूखा रह सकता है...
अन्ना और उसका गेंग कांग्रेस और विदेशी टुकडो पर पलने वाला देश का सबसे बड़ा दुश्मन है.
http://www.indianexpress.com/news/medical-report-of-team-anna-a-mystery/983183/0
जो 65 साल में नहीं हुआ वो चमत्कार अब तीन साल में होगा...लेकिन बड़ा सवाल है कि कैसे होगा ये ?
ReplyDeleteये खरी खरी कितनी खरी है वो तो समय ही बतायगा ...
ReplyDeleteविचारणीय पोस्ट .....
ReplyDeleteराहुल की खातिर करे, रस्ता अन्ना टीम ।
ReplyDeleteटीम-टाम होता ख़तम, जागे नीम हकीम ।
जागे नीम-हकीम, दवा भ्रष्टों को दे दी ।
पॉलिटिक्स की थीम, जलाए लंका भेदी ।
ग्यारह प्रतिशत वोट, काट कर अन्ना शातिर ।
एन डी ए को चोट, लगाएं राहुल खातिर ।।
कुलबुलाय कीड़ा-कपट, बेईमान इंसान ।
ReplyDeleteझूठ स्वयं से बोल के, छोड़ हटे मैदान |
छोड़ हटे मैदान, डटे थे बड़े शान से |
बार बार आमरण, निकाले खड्ग म्यान से |
अनशन अब बदनाम, महात्मा गांधी अन्ना |
खड्ग सिंह विश्वास, टूटता मिटी तमन्ना |
इकसठ सठ सेठा भये, इक सठ आये और |
ReplyDeleteवा-सठ सड़-सठ गिन रहे, लेकिन करिए गौर |
लेकिन करिए गौर, चौर की चर्चा चालू |
रखिये निज सिर मौर, दौर चालू जब टालू |
लाखों भरे विभेद, चुनौती बहुत बड़ी है |
दुर्जन रहे खरेद, व्यवस्था सड़ी पड़ी है ||
राष्ट्र कार्य करने चले, किन्तु मृत्यु भय साथ |
ReplyDeleteलगा नहीं सकते गले, फिर ओखल क्यूँ माथ ?
फिर ओखल क्यूँ माथ, माथ पर हम बैठाए |
देते पूरा साथ, हाथ हर समय बढाए |
आन्दोलन की मौत, निराशा घर घर छाई |
लोकपाल की करें, आज सब पूर्ण विदाई ||