Friday, January 20, 2012

मत भूलिए 712 से 2012 तक


आशा है अब तक लोगों पर से नए साल 2012 के आने का खुमार उतर चूका होगा तो क्यूँ न सन 2012 के इतिहास के बारे में कुछ चर्चा हो जाए क्या आप जानते हैं इस सन के कडवे इतिहास के बारे में ,डालिए दिमाग पर कुछ जोर , डालिए, डालिए नहीं याद आया ,कोई बात नहीं मै बता देता हूँ इस सन का कड़वा इतिहास :

ये सन उस मनहूस वर्ष की 1300वी वर्षगांठ है जब मुसलमानों ने पहली बार हमारे पावन भारतवर्ष की पावन भूमि को पदाक्रांत किया था | पहली बार किसी मलेच्छ देश के दुर्दांत,जंगली और असभ्य लोगों ने इस देव भूमि पर अपनी कुदृष्टि डालने का न केवल दुसाहस ही किया अपितु इसे पदाक्रांत भी किया, जिनका उद्देश्य भारत की महान संस्कृति, धर्म, दर्शन और संस्कारों को नष्ट करना था |

और यही से भारतवर्ष के उज्ज्वल सूर्य को ऐसा ग्रहण लगा जो अभी तक नहीं हटा| मै बात कर रहा हूँ सन 712 इसवी की जब पहली बार किसी मलेच्छ ने भारतवर्ष पर आक्रमण करने का दुसाहस किया| ये वो समय था जब इस्लाम ने दुनिया की कई फलती - फूलती और विकसित सभ्यताओं को बर्बाद कर दिया था और कईयों पर उसकी कुदृष्टि थी| इस समय अरब जो की इस्लाम का जन्म स्थान है अपने कई निकटवर्ती विकसित देशों जैसे इराक, फारस,मिस्र, जोर्डन,यमन, स्पेन व् सीरया अदि को अपनी धर्मान्धता की भेंट चढ़ा चुका था |और अब उसकी कुदृष्टि फारस के उतर-पूर्व में पड़ने वाले उस समय के सबसे विकसित, सबसे धनी,सबसे शक्तिशाली व् सबसे शांतिप्रिय देश हमारे भारतवर्ष पर थी|

इस्लाम के धर्मान्ध अनुयायी इस देव भूमि, इस पुण्य भूमि को भी नष्ट - भ्रष्ट करने का मन बना चुके थे, परन्तु वे भारत के योधाओं के पराक्रम ,शोर्य ,वीरता और शक्ति का सामना करने का साहस नहीं जुटा पा रहे थे | ऐसी स्थिति में हज्जाज (वर्तमान इराक ) के खलीफा ने साहस करके कई बार अपनी विशाल सेनाएं भारत पर आक्रमण के लिए भेजी परन्तु हर बार उन्होंने मुह की खायी और उन्हें पीठ दिखा कर भागना पड़ा| स्वमं अरब इतिहासकारों व् च्छ नामा के अनुसार छ (6) बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा | अब उन्होंने ये जान लिया कि सीधे युद्ध में भारत को जीतना टेढ़ी खीर है इसलिए उन्होंने छल का सहारा लिया और धीरे-२ भारत के सीमावर्ती क्षेत्र में अपने सैनिकों को व्यापारियौं के वेश में भेजना शुरू किया जिन्होंने भारत के सीमावर्ती राज्य सिंध की बहुसंख्यक जनसँख्या बोध्धों तथा कुछ देशद्रोही व् विश्वासघाती सामंतो को अपने जाल में फसाया तथा उनके द्वारा सिंध की सुरक्षा ,रणनीति व् दुर्ग सम्बन्धी गोपनीय जानकारियां प्राप्त की तथा अपने सैनिकों को धोखे से सिंध के सेना ने भी प्रवेश दिलवा दिया ताकि समय पर उनका उपयोग किया जा सके|

और अब जब सभी तैयारियां हो चुकी थी सन 712 इसवी में हज्जाज के खलीफा अल - हज्जाज - इब्न - युसूफ - अल हक़फी ने अपने भतीजे मुहम्मद - इब्न - कासिम की कमान में अरब फौजों को सातवीं बार सिंध पर हमला करने के लिए भेजा |उस समय सिंध पर महाराजा दाहिर सेन का शासन था जो कि वीरता ,साहस और न्यायप्रियता में अपना सानी नहीं रखते थे| महाराजा दाहिर सेन छ (6) बार उन अरब फौजों को करारी हार दे चुके थे जिन्होंने कुछ ही दशकों में फारस,मिस्र, जोर्डन, स्पेन व् सीरया जैसे शक्तिशाली देशों को निस्तेनाबुद कर दिया था |

महाराज दाहिर सेन स्वमं युद्ध में भाग लेते थे व् सेनाओं का संचालान करते थे | 712 इसवी में मुहम्मद बिन कासिम ने सिंध पर हमला कर दिया और उनकी योजना अनुसार बोधों ने विदेशी मलेच्छों का साथ दिया परन्तु फिर भी सिंध की सेनाओं ने अरबो को मुहतोड़ जवाब दिया और एक समय ऐसा आया की अरब सेनाएं पीठ दिखा कर भागने ही वाली थी कि तभी महाराज दाहिर की सेना में छुपे हुए अरबो ने भी सिंध की सेना पर हमला कर दिया जिससे राजा दाहिर की सेना में अफरातफरी मचगई और वे अपने ही सैनिकों को मारने लगे इसी समय कुछ देशद्रोहियों ने देवल दुर्ग का मुख्य द्वार खोल दिया जिससे अरब सेनाओं का उत्साह वर्धन हुआ और तभी दुर्भाग्य वश एक तीर, हाथी पर सवार राजा दाहिर के गले में जा लगा जिससे वे हाथी से गिर पड़े व् वीर गति को प्राप्त हुए|

राजा दाहिर को मृत देख सिंध की सेनाओं का मनोबल टूट गया और सारी सेना हतोत्साहित हो गयी तथा लड़ते -लड़ते मरी गयी | छल से प्राप्त विजय के उन्माद में अरब सेनाएं सिंध की राजधानी देवल में प्रवेश कर गयी और उन्होंने सिंध की निर्दोष जनसाधारण का जमकर कत्ले आम किया तथ्यों के अनुसार अरब सेनाओं में लगभग सभी मंदिरों और बोध विहारों को नष्ट कर दिया और बोध मठों के उन सभी हजारों निहत्थे बोधों को गाजर-मुली की तरह काट दिया जिन्होंने उनका साथ दिया था | पूरा का पूरा नगर जला दिया गया सारी सम्पति लूट कर इराक भिजवा दी गयी हजारों महिलाओं का शील भंग किया गया अधिकतर पुरुषों ,बच्चों व् वृद्धों का वध कर दिया गया या बलात धर्मपरिवर्तन करा कर मुसलमान बना दिया हजारों हिन्दू और बोध किशोरों और कन्याओं को गुलाम बनाकर खलीफा के पास हज्जाज (इराक) भेज दिया गया|

मजहब के नाम पर जो बुरे से बुरा वो कर सकते थे उन्होंने वो किया | जल्द ही उन्होंने सिंध के निकटवर्ती राज्यों बलूचिस्तान ,मुल्तान और पंजाब के कुछ भाग को भी जीत लिया और वहां भी वैभत्स्य का नंगा नाच किया | तत्पश्चात कासिम ने इन विजित राज्यों में अरब की कानून वयवस्था (शरिया) को लागु किया सभी गैर मुसलमानों पर जजिया लगाया गया ,उनके संतान उत्पन्न करने पर रोक लगा दी गयी ,हजारों की संख्या में लोगो को जबरदस्ती मुसलमान बनाया गया और जो मुसलमान नहीं बना या तो उसका वध कर दिया गया या उसे परिवार सहित गुलाम बना करा इराक भेज दिया गया | तक्षशिला विश्वविद्यालय को धवस्त कर दिया गया| तथा ये कानून बनाया गया कि अरब का कोई भी व्यापारी हिंदुस्तान आते वक़्त किसी भी हिन्दू घर में 3 दिन रुक सकता है और हर प्रकार की सेवा ग्रहण कर सकता है (हर प्रकार की सेवा से तात्पर्य तो आप समझ ही गए होंगे )|

1300 साल पहले भारत की सीमाएं पश्चिम में फारस (वर्तमान इरान) को और पूर्व में कम्बोडिया को छूती थी पर आज वे सिमट के रह गयी हैं| इस्लाम के आगमन से पूर्व भारत का लोहा पूरा विश्व मानता था परन्तु आज भारतीय कहलाने पर शर्म का अनुभव होता है | 1300 साल पहले ज्ञान - विज्ञानं,कला,साहित्य, चिकित्सा, आध्यात्म, दर्शन संस्कृति आदि के क्षेत्र में भारत विश्व गुरु कहलाता था पर आज हम खुद को विकास की दौड़ में पिछड़ा हुआ अनुभव करते हैं | सैकड़ों सालों से हम अपने ही देश में शरणार्थियों की तरह रह रहे हैं अपने ही घर ने किरायदारों की तरह रह रहे हैं |आज 1300 साल बाद भी हम उसी जगह खड़े है जहाँ 1300 साल पहले 712 में खड़े थे आज भी मुस्लिम आक्रान्ता हमारे देश में मनमानी कर रहे हैं और आज भी गद्दारों और देशद्रोहियों की भारत में कोई कमी नहीं है | पिछले 1300 सालों में मुसलमानों के अनगिनत आक्रमणों का सामना इस भारत भूमि ने किया है जिसमे इस भूमि के अनगिनित बेटों ने अपने प्राणों की आहुति दी है अनगिनित बेटियों ने जौहर किया अनगिनित महिलाओं का शील हरण हुआ अनगिनित दुधमुहे बच्चों को भालों की नोक से छेदा गया |अत्याचार और व्यभिचार का ऐसा नंगा नाच मानवता ने इस्लाम के आगमन से पूर्व कभी नहीं देखा था |और ये अनवरत आज तक चल रहा है |

तो नव वर्ष 2012 के अवसर पर पिछले 1300 सालो के नफे - नुकसान का हिसाब कर लीजिये और समीक्षा करिए के गलती कहाँ हो रही है और इसका क्या समाधान है |

http://hinduexistence.wordpress.com/category/jihad-in-india/


(पवन शर्मा जी के माध्यम से )

3 comments:

  1. एक शानदार आलेख के लिए शुक्रिया अनिल जी ! मेरी इस टिपण्णी पर अनेकों दुर्बुद्धिजीवी भले ही यह कहें कि मैं इसे शानदार आलेख कह रहा हूँ, क्योंकि इन्हें सच्चाई पचती नहीं है मगर सच्चाई यही है कि इस मजहब ने सिवाए विनाश के कुछ नहीं दिया ! जहां गया वहा विनाश ही किया ! सच कडवे होते है मगर ये तथाकथित लोग इस बात को बखूबी समझते है ! झूठ पर झूठ बोल, जोर जबरदस्ती भले ही ये कुछ भी करवा लें मगर क्या हर इंसान इनकी तरह बेवकूफ है जो इनकी चालों को न समझे? सलमान रुश्दी और पेंटर हुसैन का फर्क देखिये एक तरफ इन्हें अभिब्यक्ति की स्वतंत्रता पर आकर्मण दिखता है और दूसरी तरह ? यहाँ भी लोकतंत्र का सत्यानाश करने पर तुले है ! ये होते कौन है अपनी पूरी कौम से यह कहने वाले कि इसे वोट डालू और इसे नहीं ? घटिया कृत्यों से पहले खुद डेमोक्रेसी और देश का सत्यानाश कर रहे है और फिर भले भी बन जायेंगे, दोषारोपण दूसरों पर करने हेतु ! मगर अफोस इससे बड़ा यह है कि हमारे देश में जयचंदों के बन्श्जों की भी बहुत लम्बी-चौड़ी फौज खडी हो गई है, और शीघ्र सिवाए कुदरत के इन्हें सुधारने के और कोई गुंजाइश नजर नहीं आती !

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी लगाई है!
    सूचनार्थ!

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  3. तक्षशिला विश्वविद्यालय को धवस्त कर दिया गया| तथा ये कानून बनाया गया कि अरब का कोई भी व्यापारी हिंदुस्तान आते वक़्त किसी भी हिन्दू घर में 3 दिन रुक सकता है और हर प्रकार की सेवा ग्रहण कर सकता है (हर प्रकार की सेवा से तात्पर्य तो आप समझ ही गए होंगे )|
    खेल आरक्षण और तुष्टिकरण आज भी चल रहा है .

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