क्या भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का विलय "कामराज
कांग्रेस" जिसका चुनाव चिन्ह था चरखा उसमे हो गया
है.......................................?
कुमारस्वामी कामराज
जो के. कामराज के नाम से अधिक जाने जाते थे, का जन्म 15 जुलाई 1903 को
तमिलनाडु के 'विरूधुनगर' में हुआ था। उनका मूल नाम 'कामाक्षी कुमारस्वामी
नादेर' था, लेकिन बाद में वह के. कामराज के नाम से प्रसिद्ध हुए। कामराज के
पिता व्यापारी थे, किंतु उनकी असमय मृत्यु ने उनके परिवार को परेशानी में
डाल दिया। भारतीय राजनीति में वे 'किंग मेकर
'
के रूप में जाने जाते थे। 'भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन' में भी उनकी सक्रिय
भूमिका रही। भारत के प्रथम रसिया प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के वह
अत्यधिक निकट रहे।
15 साल की आयु में कामराज ने अपने गृह ज़िले
में कांग्रेस पार्टी के लिए धन एकत्र करने का अभियान चलाकर राजनीति में
प्रवेश किया। 1937 में उन्हें 'मद्रास विधानसभा' के लिए चुन लिया गया और
1952 के आम चुनाव में उन्होंने लोकसभा की सीट जीती। 1954 से 1963 तक वह
मद्रास के मुख्यमंत्री रहे और 'कामराज योजना' के अंतर्गत उन्होंने पद त्याग
दिया, जिसमें निचले स्तर पर 'कांग्रेस पार्टी के पुनर्गठन' के लिए अपने को
समर्पित करने के लिए वरिष्ठ राष्ट्रीय एवं राज्य पदाधिकारियों के
स्वैच्छिक त्यागपत्र का प्रावधान था। इसके तुरंत बाद ही उन्हें पार्टी का
अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उन्होंने 1964 में लाल बहादुर शास्त्री को और
1966 में इंदिरा गाँधी को प्रधानमंत्री बनाने में प्रमुख भूमिका निभाई।
दोनों बार दक्षिणपंथी मोरारजी देसाई (जनता पार्टी) को हराया, किंतु 1967
में वह अपने गृहनगर में हार गए। इसके तुरंत बाद इंदिरा गाँधी उन्हें पार्टी
के नेतृत्व से हटाने में सफल रहीं। 1969 में वह पुराने नेताओं के गुट के
सदस्य रहे, जिसने इंदिरा गाँधी को सत्ता से हटाने का प्रयास किया, लेकिन
पार्टी में विभाजन हो गया, जिसमें कामराज और उनके सहयोगी एक छोटे से
विभाजित गुट के साथ अलग-थलग हो गए।
तब इन्द्रा गाँधी उर्फ़
मेमुना बेगम के नेतृत्व वाली कांग्रेस को गाये और बछड़े का चुनाव चिन्ह
मिला और कामराज के नेतृत्व वाली कांग्रेस को चरखा चुनाव चिन्ह मिला. वर्ष
1977 में आपातकाल समाप्त होने के बाद कांगेस की बदहाली शुरू हुई। इसी दौर
में चुनाव आयोग ने गाय बछड़े के चिन्ह को जब्त कर लिया। रायबरेली में करारी
हार के बाद सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस के हालात देखकर पार्टी प्रमुख
इन्दिरा गांधी काफी परेशान हो गयीं। परेशानी की हालत में श्रीमती गांधी
तत्कालीन शंकराचार्य स्वामी चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती का आशीर्वाद लेने
पहुंची।
इंदिरा गांधी की बात सुनने के बाद पहले तो शंकराचार्य मौन
हो गए लेकिन कुछ देर बाद उन्होंने अपना दाहिना हाथ उठाकर आर्शीवाद दिया
तथा हाथ का पंजा पार्टी का चुनाव निशान बनाने को कहा। उस समय आंध्र प्रदेश
समेत चार राज्यों का चुनाव होने वाले थे। श्रीमती गांधी ने उसी वक्त
कांग्रेस आई की स्थापना की और आयोग को बताया कि अब पार्टी का चुनाव निशान
पंजा होगा। शंकराचार्य के आर्शीवाद के बाद कांग्रेस पुनर्जीवित हो गयी तथा
चार राज्यों के चुनाव में कांग्रेस की जोरदार जीत हुई।
हाल ही
में राहुल गाँधी ने "कामराज योजना" को कांग्रेस में फिर से लागु करने की
योजना का प्रयास किया था पर उनको अब कांग्रेस में ये योजना लागु करने की
सफलता नहीं मिली और आज गुजरात के राजकोट से "कामराज कांग्रेस" के चुनाव
चिन्ह से अपनी चुनावी रेली की शुरुआत कर क्या यही समझा जाए की भारतीय
राष्ट्रीय कांग्रस का विलय "कामराज कांग्रेस" में हो गया है.......