आप सब ने मोहन दास करमचंद गाँधी का नाम तो सुना ही होगा अरे वही जिसने
विदेश में वकालत की पढाई करी थी वकालत करने के लिए पर सुना है की काले और
गोरे के चक्कर में एक अंग्रेज ने उनका कुटावा चडाया और ट्रेन से नीचे फेंक
दिया था. ये वो घटना है जो बहुत प्रचलित है. इस पर मैंने बहुत विचार किया
और कई बार विचार करने के बाद मेरा अपना शोध है की ये एक दम बकवास और बे सर
पैर की बात है. कुटावा और रेल से तो फेका गया पर कारण काले गोरे का नहीं था ? स्वेम जाने क्यों ?
पहली बात क्या रेल में सफर करने वाले एक मात्र काले व्यक्ती मोहन दास करमचंद गाँधी ही था ?
दुसरी बात अगर काले लोग सफर करते थे तो और किसी और के साथ ऐसा क्यों नहीं हुहा ?
तीसरी बात अगर ओरो के साथ भी हुहा था तो उन घटनायो का जिक्र क्यों नहीं है सिर्फ इसी घटना का जिक्र क्यों है ?
जब ये घटना घटी तब गाँधी अकेले थे और तब वो इतने मशहूर नहीं थे की वो खबर बनते ? तो ये खबर इतिहाश का हिस्सा केसे बनी ?
अथार्त गाँधी ने ही अपने अनुयाईयो को बताया होगा, तो स्वेम के साथ घटी किसी घटना को खुद ही बताये जिसका कोई गवाह ही नहीं तो वो सच केसे मानी जा सकती है ?
अब इस घटना की सचाई ये है कि:-
ये सच है की अंग्रेज ने गाँधी को पीटा भी और रेल से फेका भी, पर काले गोरे के कारण नहीं |
आप सब गाँधी के चरित्र के बारे में भी जानते ही है, भले ही स्वीकार न करे किसी के स्वीकार करने या न करने से सच तो बदलेगा नहीं तो सच यही है की गाँधी का चरित्र महीलाओ को लेकर अच्छे संस्कारो का तो था नहीं.
तो हुहा ये होगा की गाँधी ने अकेले में किसी अंग्रेज की लुगाई के साथ बदतमीज (फिलर्ट) की होगी और उस अंग्रेज लुगाई का पति उसी समय आ गया होगा अब ऐसे समय में तो सब देशो के सब मर्दों को गुस्सा आता ही है सो उस अंग्रेज को भी आया और उसने गाँधी का कुटावा चडाया और रेल से नीचे भी फेंक दिया होगा जिसे चतुर सुजान श्री श्री १००००००००००००००८ मोहनदास करमचंद गाँधी ने बड़ी ही चतुराई से इस घटना में अपने को काले गोरे का शिकार घोषित करा लिया.
मेरा स्पष्ट मानना है की सच्चाई यही है, वो नहीं जो हमे इतिहाश में पढाया गया ? बाकी पाठकगण स्वेम फैसला करे.
पहली बात क्या रेल में सफर करने वाले एक मात्र काले व्यक्ती मोहन दास करमचंद गाँधी ही था ?
दुसरी बात अगर काले लोग सफर करते थे तो और किसी और के साथ ऐसा क्यों नहीं हुहा ?
तीसरी बात अगर ओरो के साथ भी हुहा था तो उन घटनायो का जिक्र क्यों नहीं है सिर्फ इसी घटना का जिक्र क्यों है ?
जब ये घटना घटी तब गाँधी अकेले थे और तब वो इतने मशहूर नहीं थे की वो खबर बनते ? तो ये खबर इतिहाश का हिस्सा केसे बनी ?
अथार्त गाँधी ने ही अपने अनुयाईयो को बताया होगा, तो स्वेम के साथ घटी किसी घटना को खुद ही बताये जिसका कोई गवाह ही नहीं तो वो सच केसे मानी जा सकती है ?
अब इस घटना की सचाई ये है कि:-
ये सच है की अंग्रेज ने गाँधी को पीटा भी और रेल से फेका भी, पर काले गोरे के कारण नहीं |
आप सब गाँधी के चरित्र के बारे में भी जानते ही है, भले ही स्वीकार न करे किसी के स्वीकार करने या न करने से सच तो बदलेगा नहीं तो सच यही है की गाँधी का चरित्र महीलाओ को लेकर अच्छे संस्कारो का तो था नहीं.
तो हुहा ये होगा की गाँधी ने अकेले में किसी अंग्रेज की लुगाई के साथ बदतमीज (फिलर्ट) की होगी और उस अंग्रेज लुगाई का पति उसी समय आ गया होगा अब ऐसे समय में तो सब देशो के सब मर्दों को गुस्सा आता ही है सो उस अंग्रेज को भी आया और उसने गाँधी का कुटावा चडाया और रेल से नीचे भी फेंक दिया होगा जिसे चतुर सुजान श्री श्री १००००००००००००००८ मोहनदास करमचंद गाँधी ने बड़ी ही चतुराई से इस घटना में अपने को काले गोरे का शिकार घोषित करा लिया.
मेरा स्पष्ट मानना है की सच्चाई यही है, वो नहीं जो हमे इतिहाश में पढाया गया ? बाकी पाठकगण स्वेम फैसला करे.