Thursday, June 28, 2012

साध्वी प्रज्ञा पर अत्याचार और फोजिया खान पर सरकार चुप क्यों ?



क्या ये भारत की तथाकथित सेकूलर सरकार का दोगलापन नहीं है ........................................?



पूरी कागजी करवाई के बाद २००४ में बेची गई मोटरसाईकिल के २००८ मालेगाव विस्फोट में इस्तेमाल के कारण साध्वी प्रज्ञा के साथ अत्याचार और अपने घर में देश के दुश्मन आतंकवादियों को पनाह देने वाली फोजिया खान पर कोई करवाई क्यों नहीं.................... ?

साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर द्वारा नासिक कोर्ट में दिये गये शपथपत्र पर आधारित बयान . 

मैं साध्वी प्रज्ञा चंद्रपाल सिंह ठाकुर, उम्र-38 साल, पेशा-कुछ नहीं, 7 गंगा सागर ...अपार्टमेन्ट, कटोदरा, सूरत,गुजरात राज्य की निवासी हूं जबकि मैं मूलतः मध्य प्रदेश की निवासिनी हूं. कुछ साल पहले हमारे अभिभावक सूरत आकर बस गये. पिछले कुछ सालों से मैं अनुभव कर रही हूं कि भौतिक जगत से मेरा कटाव होता जा रहा है. आध्यात्मिक जगत लगातार मुझे अपनी ओर आकर्षित कर रहा था. इसके कारण मैंने भौतिक जगत को अलविदा करने का निश्चय कर लिया और 30-01-2007 को संन्यासिन हो गयी.

जब से सन्यासिन हुई हूं मैं अपने जबलपुर वाले आश्रम से निवास कर रही हूं. आश्रम में मेरा अधिकांश समय ध्यान-साधना, योग, प्राणायम और आध्यात्मिक अध्ययन में ही बीतता था. आश्रम में टीवी इत्यादि देखने की मेरी कोई आदत नहीं है, यहां तक कि आश्रम में अखबार की कोई समुचित व्यवस्था भी नहीं है. आश्रम में रहने के दिनों को छोड़ दें तो बाकी समय मैं उत्तर भारत के ज्यादातर हिस्सों में धार्मिक प्रवचन और अन्य धार्मिक कार्यों को संपन्न कराने के लिए उत्तर भारत में यात्राएं करती हूं. 23-9-2008 से 4-10-2008 के दौरान मैं इंदौर में थी और यहां मैं अपने एक शिष्य अण्णाजी के घर रूकी थी. 4 अक्टूबर की शाम को मैं अपने आश्रम जबलपुर वापस आ गयी.

7-10-2008 को जब मैं अपने जबलपुर के आश्रम में थी तो शाम को महाराष्ट्र से एटीएस के एक पुलिस अधिकारी का फोन मेरे पास आया जिन्होंने अपना नाम सावंत बताया. वे मेरी एलएमएल फ्रीडम बाईक के बारे में जानना चाहते थे. मैंने उनसे कहा कि वह बाईक तो मैंने बहुत पहले बेच दी है. अब मेरा उस बाईक से कोई नाता नहीं है. फिर भी उन्होंने मुझे कहा कि अगर मैं सूरत आ जाऊं तो वे मुझसे कुछ पूछताछ करना चाहते हैं. मेरे लिए तुरंत आश्रम छोड़कर सूरत जाना संभव नहीं था इसलिए मैंने उन्हें कहा कि हो सके तो आप ही जबलपुर आश्रम आ जाईये, आपको जो कुछ पूछताछ करनी है कर लीजिए. लेकिन उन्होंने जबलपुर आने से मना कर दिया और कहा कि जितनी जल्दी हो आप सूरत आ जाईये. फिर मैंने ही सूरत जाने का निश्चय किया और ट्रेन से उज्जैन के रास्ते 10-10-2008 को सुबह सूरत पहुंच गयी. रेलवे स्टेशन पर भीमाभाई पसरीचा मुझे लेने आये थे. उनके साथ मैं उनके निवासस्थान एटाप नगर चली गयी.

यहीं पर सुबह के कोई 10 बजे मेरी सावंत से मुलाकात हुई जो एलएमएल बाईक की खोज करते हुए पहले से ही सूरत में थे. सावंत से मैंने पूछा कि मेरी बाईक के साथ क्या हुआ और उस बाईक के बारे में आप पडताल क्यों कर रहे हैं? श्रीमान सावंत ने मुझे बताया कि पिछले सप्ताह सितंबर में मालेगांव में जो विस्फोट हुआ है उसमें वही बाईक इस्तेमाल की गयी है. यह मेरे लिए भी बिल्कुल नयी जानकारी थी कि मेरी बाईक का इस्तेमाल मालेगांव धमाकों में किया गया है. यह सुनकर मैं सन्न रह गयी. मैंने सावंत को कहा कि आप जिस एलएमएल फ्रीडम बाईक की बात कर रहे हैं उसका रंग और नंबर वही है जिसे मैंने कुछ साल पहले बेच दिया था.

सूरत में सावंत से बातचीत में ही मैंने उन्हें बता दिया था कि वह एलएमएल फ्रीडम बाईक मैंने अक्टूबर 2004 में ही मध्यप्रदेश के श्रीमान जोशी को 24 हजार में बेच दी थी. उसी महीने में मैंने आरटीओ के तहत जरूरी कागजात (टीटी फार्म) पर हस्ताक्षर करके बाईक की लेन-देन पूरी कर दी थी. मैंने साफ तौर पर सावंत को कह दिया था कि अक्टूबर 2004 के बाद से मेरा उस बाईक पर कोई अधिकार नहीं रह गया था. उसका कौन इस्तेमाल कर रहा है इससे भी मेरा कोई मतलब नहीं था. लेकिन सावंत ने कहा कि वे मेरी बात पर विश्वास नहीं कर सकते. इसलिए मुझे उनके साथ मुंबई जाना पड़ेगा ताकि वे और एटीएस के उनके अन्य साथी इस बारे में और पूछताछ कर सकें. पूछताछ के बाद मैं आश्रम आने के लिए आजाद हूं.

यहां यह ध्यान देने की बात है कि सीधे तौर पर मुझे 10-10-2008 को गिरफ्तार नहीं किया गया. मुंबई में पूछताछ के लिए ले जाने की बाबत मुझे कोई सम्मन भी नहीं दिया गया. जबकि मैं चाहती तो मैं सावंत को अपने आश्रम ही आकर पूछताछ करने के लिए मजबूर कर सकती थी क्योंकि एक नागरिक के नाते यह मेरा अधिकार है. लेकिन मैंने सावंत पर विश्वास किया और उनके साथ बातचीत के दौरान मैंने कुछ नहीं छिपाया. मैं सावंत के साथ मुंबई जाने के लिए तैयार हो गयी. सावंत ने कहा कि मैं अपने पिता से भी कहूं कि वे मेरे साथ मुंबई चलें. मैंने सावंत से कहा कि उनकी बढ़ती उम्र को देखते हुए उनको साथ लेकर चलना ठीक नहीं होगा. इसकी बजाय मैंने भीमाभाई को साथ लेकर चलने के लिए कहा जिनके घर में एटीएस मुझसे पूछताछ कर रही थी.

शाम को 5.15 मिनट पर मैं, सावंत और भीमाभाई सूरत से मुंबई के लिए चल पड़े. 10 अक्टूबर को ही देर रात हम लोग मुंबई पहुंच गये. मुझे सीधे कालाचौकी स्थित एटीएस के आफिस ले जाया गया था. इसके बाद अगले दो दिनों तक एटीएस की टीम मुझसे पूछताछ करती रही. उनके सारे सवाल 29-9-2008 को मालेगांव में हुए विस्फोट के इर्द-गिर्द ही घूम रहे थे. मैं उनके हर सवाल का सही और सीधा जवाब दे रही थी.

अक्टूबर को एटीएस ने अपनी पूछताछ का रास्ता बदल दिया. अब उसने उग्र होकर पूछताछ करना शुरू किया. पहले उन्होंने मेरे शिष्य भीमाभाई पसरीचा (जिन्हें मैं सूरत से अपने साथ लाई थी) से कहा कि वह मुझे बेल्ट और डंडे से मेरी हथेलियों, माथे और तलुओं पर प्रहार करे. जब पसरीचा ने ऐसा करने से मना किया तो एटीएस ने पहले उसको मारा-पीटा. आखिरकार वह एटीएस के कहने पर मेरे ऊपर प्रहार करने लगा. कुछ भी हो, वह मेरा शिष्य है और कोई शिष्य अपने गुरू को चोट नहीं पहुंचा सकता. इसलिए प्रहार करते वक्त भी वह इस बात का ध्यान रख रहा था कि मुझे कोई चोट न लग जाए. इसके बाद खानविलकर ने उसको किनारे धकेल दिया और बेल्ट से खुद मेरे हाथों, हथेलियों, पैरों, तलुओं पर प्रहार करने लगा. मेरे शरीर के हिस्सों में अभी भी सूजन मौजूद है.

13 तारीख तक मेरे साथ सुबह, दोपहर और रात में भी मारपीट की गयी. दो बार ऐसा हुआ कि भोर में चार बजे मुझे जगाकर मालेगांव विस्फोट के बारे में मुझसे पूछताछ की गयी. भोर में पूछताछ के दौरान एक मूछवाले आदमी ने मेरे साथ मारपीट की जिसे मैं अभी भी पहचान सकती हूं. इस दौरान एटीएस के लोगों ने मेरे साथ बातचीत में बहुत भद्दी भाषा का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. मेरे गुरू का अपमान किया गया और मेरी पवित्रता पर सवाल किये गये. मुझे इतना परेशान किया गया कि मुझे लगा कि मेरे सामने आत्महत्या करने के अलावा अब कोई रास्ता नहीं बचा है.

14 अक्टूबर को सुबह मुझे कुछ जांच के लिए एटीएस कार्यालय से काफी दूर ले जाया गया जहां से दोपहर में मेरी वापसी हुई. उस दिन मेरी पसरीचा से कोई मुलाकात नहीं हुई. मुझे यह भी पता नहीं था कि वे (पसरीचा) कहां है. 15 अक्टूबर को दोपहर बाद मुझे और पसरीचा को एटीएस के वाहनों में नागपाड़ा स्थित राजदूत होटल ले जाया गया जहां कमरा नंबर 315 और 314 में हमे क्रमशः बंद कर दिया गया. यहां होटल में हमने कोई पैसा जमा नहीं कराया और न ही यहां ठहरने के लिए कोई खानापूर्ति की. सारा काम एटीएस के लोगों ने ही किया.

मुझे होटल में रखने के बाद एटीएस के लोगों ने मुझे एक मोबाईल फोन दिया. एटीएस ने मुझे इसी फोन से अपने कुछ रिश्तेदारों और शिष्यों (जिसमें मेरी एक महिला शिष्य भी शामिल थी) को फोन करने के लिए कहा और कहा कि मैं फोन करके लोगों को बताऊं कि मैं एक होटल में रूकी हूं और सकुशल हूं. मैंने उनसे पहली बार यह पूछा कि आप मुझसे यह सब क्यों कहलाना चाह रहे हैं. समय आनेपर मैं उस महिला शिष्य का नाम भी सार्वजनिक कर दूंगी.

एटीएस की इस प्रताड़ना के बाद मेरे पेट और किडनी में दर्द शुरू हो गया. मुझे भूख लगनी बंद हो गयी. मेरी हालत बिगड़ रही थी. होटल राजदूत में लाने के कुछ ही घण्टे बाद मुझे एक अस्पताल में भर्ती करा दिया गया जिसका नाम सुश्रुसा हास्पिटल था. मुझे आईसीयू में रखा गया. इसके आधे घण्टे के अंदर ही भीमाभाई पसरीचा भी अस्पताल में लाये गये और मेरे लिए जो कुछ जरूरी कागजी कार्यवाही थी वह एटीएस ने भीमाभाई से पूरी करवाई. जैसा कि भीमाभाई ने मुझे बताया कि श्रीमान खानविलकर ने हास्पिटल में पैसे जमा करवाये. इसके बाद पसरीचा को एटीएस वहां से लेकर चली गयी जिसके बाद से मेरा उनसे किसी प्रकार का कोई संपर्क नहीं हो पाया है.

इस अस्पताल में कोई 3-4 दिन मेरा इलाज किया गया. यहां मेरी स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा था तो मुझे यहां से एक अन्य अस्पताल में ले जाया गया जिसका नाम मुझे याद नहीं है. यह एक ऊंची ईमारत वाला अस्पताल था जहां दो-तीन दिन मेरा ईलाज किया गया. इस दौरान मेरे साथ कोई महिला पुलिसकर्मी नहीं रखी गयी. न ही होटल राजदूत में और न ही इन दोनो अस्पतालों में. होटल राजदूत और दोनों अस्पताल में मुझे स्ट्रेचर पर लाया गया, इस दौरान मेरे चेहरे को एक काले कपड़े से ढंककर रखा गया. दूसरे अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद मुझे फिर एटीएस के आफिस कालाचौकी लाया गया.

इसके बाद 23-10-2008 को मुझे गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तारी के अगले दिन 24-10-2008 को मुझे मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, नासिक की कोर्ट में प्रस्तुत किया गया जहां मुझे 3-11-2008 तक पुलिस कस्टडी में रखने का आदेश हुआ. 24 तारीख तक मुझे वकील तो छोड़िये अपने परिवारवालों से भी मिलने की इजाजत नहीं दी गयी. मुझे बिना कानूनी रूप से गिरफ्तार किये ही 23-10-2008 के पहले ही पालीग्रैफिक टेस्ट किया गया. इसके बाद 1-11-2008 को दूसरा पालिग्राफिक टेस्ट किया गया. इसी के साथ मेरा नार्को टेस्ट भी किया गया.

मैं कहना चाहती हूं कि मेरा लाई डिटेक्टर टेस्ट और नार्को एनेल्सिस टेस्ट बिना मेरी अनुमति के किये गये. सभी परीक्षणों के बाद भी मालेगांव विस्फोट में मेरे शामिल होने का कोई सबूत नहीं मिल रहा था. आखिरकार 2 नवंबर को मुझे मेरी बहन प्रतिभा भगवान झा से मिलने की इजाजत दी गयी. मेरी बहन अपने साथ वकालतनामा लेकर आयी थी जो उसने और उसके पति ने वकील गणेश सोवानी से तैयार करवाया था. हम लोग कोई निजी बातचीत नहीं कर पाये क्योंकि एटीएस को लोग मेरी बातचीत सुन रहे थे. आखिरकार 3 नवंबर को ही सम्माननीय अदालत के कोर्ट रूम में मैं चार-पांच मिनट के लिए अपने वकील गणेश सोवानी से मिल पायी.

10 अक्टूबर के बाद से लगातार मेरे साथ जो कुछ किया गया उसे अपने वकील को मैं चार-पांच मिनट में ही कैसे बता पाती? इसलिए हाथ से लिखकर माननीय अदालत को मेरा जो बयान दिया था उसमें विस्तार से पूरी बात नहीं आ सकी. इसके बाद 11 नवंबर को भायखला जेल में एक महिला कांस्टेबल की मौजूदगी में मुझे अपने वकील गणेश सोवानी से एक बार फिर 4-5 मिनट के लिए मिलने का मौका दिया गया. इसके अगले दिन 13 नवंबर को मुझे फिर से 8-10 मिनट के लिए वकील से मिलने की इजाजत दी गयी. इसके बाद शुक्रवार 14 नवंबर को शाम 4.30 मिनट पर मुझे मेरे वकील से बात करने के लिए 20 मिनट का वक्त दिया गया जिसमें मैंने अपने साथ हुई सारी घटनाएं सिलसिलेवार उन्हें बताई, जिसे यहां प्रस्तुत किया गया है.

Monday, June 18, 2012

कोसीकलां (मथुरा) दंगे का पूरा सच


































कोसीकलां दंगे का प्रारंभ और क्रमवार विश्लेषण

१ जून २०१२, दिन शुक्रवार, तिथि निर्जला एकादशी, समय दोपहर २ बजे

मुस्लिम समुदाय के जुमे की नमाज का समय| कोसीकलां में जिंदगी अपनी गति से बढ़ रही थी| दोपहर की नमाज समाप्त होने के पश्चात् सब्जी मंडी में एक व्यापारी देवा ने एक ग्राहक को सामान दे कर मस्जिद के निचे रखे ड्रम के पानी से हाथ धो लिया| उसी समय मस्जिद से निचे उतर रहे खालिद शेख ने व्यापारी देवा को ऐसा करते देख लिया और उसे फटकार  दिया| देवा ने कहा की अगर आपका पानी ख़राब हो गया तो मैं क्षमा मांगता हूँ और ड्रम को दोबारा भरवा देता हूँ| देवा ने दोबारा ड्रम को पानी से भरवा दिया| दोबारा पानी भरवा देने के बाद भी खालिद शेख अपने अहंकारवश देवा से मारपिट चालू कर दिया| खालिद के ऐसा करने का अन्य हिन्दू व्यापारी बन्धुवों ने विरोध किया| लेकिन खालिद ने मस्जिद से अन्य मुस्लिमों को बुला लिया हिन्दुओं के साथ बर्बरता पूर्वक मारपीट करता हुआ मस्जिद में वापस चला गया और उसके बाद मस्जिद में उपस्थित मुस्लिमो ने हिन्दुओं पर मस्जिद के अन्दर से ही पथराव चालू कर दिया| इतना ही नहीं खालिद ने कोसी नगर के मुस्लिम बहुल इलाके "निकासे" के मुस्लिमो को ये सुचना दे दी की हमारी मस्जिद को हिन्दुओं ने घेर लिया है और हमारे ऊपर हमला कर रहे हैं| ज्ञात हो की खालिद शेख ६ महिना भारत में रहता है और ६ महिना सउदी अरब में रहता है| वह सउदी अरब से कोसीकलां और उसके आसपास के क्षेत्रों के सभी मस्जिदों के लिए हवाला के जरिये धन मुहैया करता है| इतना ही नहीं खालिद शेख आई०एस०आई० का एजेंट भी है और मुस्लिम हितैषी सरकार जैसे कांग्रेस और सपा के साथ प्रगाढ़ सम्बन्ध बनाये हुए है और उनके हमेसा संपर्क में रहता है|
कोसीकलां का पाकिस्तान कहे जाने वाले मुस्लिम बहुल क्षेत्र "निकासे" से सैकड़ों की संख्या में उग्र मुसलमानों की भीड़ अपना आतंकवादी रूप दिखाते हुए अपने विभिन्न प्रकार के घातक  हथियारों जैसे बम, पिस्तौल, पेट्रोल बम इत्यादि से लैस हो कर हिन्दुओं पर हमला करते हुए उक्त मस्जिद की तरफ बढ़ने लगे| लेकिन सब्जी मंडी मस्जिद और निकासे के बिच स्थित  हिन्दू बहुल क्षेत्र "बल्देव गंज" के हिन्दू भाइयों ने निकासे के मुस्लिमो को मुहतोड़ जवाब दिया  | इसपर गुस्साए मुसलमानों ने तबाही का जो मंजर प्रस्तुत किया वो दिल दहला देने वाला था|

निकासे सीमा पर स्थित पंजाब नेसनल बैंक में घुस कर मुसलमानों ने सिर्फ वहां की संपत्ति को केवल भारी नुकसान ही पहुँचाया बल्कि लूटपाट का भी प्रयास किया| इसका पूरा विवरण बैंक के सीसीटीवी कैमरे में कैद है जिसे अगर प्रदेश सरकार चाहे तो देख सकती है| लूटपाट में असफल होने के पश्चात् मुसलमानों ने बैंक को आग के हवाले कर दिया| बैंक के बाहर मुस्लिम दंगाई और बैंक के अन्दर आग| इसके बावजूद भी बैंक के अन्दर उपस्थित स्टाफ, कर्मचारियों और ग्राहकों ने इधर-उधर शरण ले कर जैसे-तैसे अपनी जान बचाई| मुसलमानों का गुस्सा और आतंकवादी गतिविधियाँ यही नहीं थमीं| मुसलमानों ने निकासे सीमा पर स्थित लगभग सभी हिन्दू घरों में घुस कर ना सिर्फ तोड़-फोड़ और लूटपाट करी बल्कि वहां मौजूद  हिन्दू माताओं और बहनों से भी बड़ी ही अश्लीलता पूर्ण बद्तामिजियाँ कीं| दंगाइयों ने हिन्दुओं के घरों के निचे रखी उनकी कारों को आग के हवाले कर दिया| जिसके कारण कई हिन्दुओं के घर जल कर खाक हो गए| हिन्दुओं में बल्देव गंज और निकासे सीमा पर स्थित आर०के० गर्ग, गुड्डू हतानियाँ, किशन पंडित और प्रतिक जैन इत्यादि हिन्दू भाइयों के घर, वाहन, दुकान और गोदाम आदि की भारी हानी हुई| इनकी माता बहनों के साथ घर में घुस कर अमानवीय रूप से बदतमीजी की गई| मुस्लिम दंगाइयों ने आने-जाने वाले हिन्दू राहगीरों के करीब २ दर्जन वाहनों को आग के हवाले कर दिया और इनके साथ बड़ी बेरहमी से मारपीट कर बुरी तरह घायल कर दिया| मुस्लिम दंगाइयों की संख्या अचानक से इतनी बढ़ गई की इनका सामना करने का साहस किसी में नहीं था| यहाँ मुस्लिम दंगाई बल्देव गंज के युवाओं पर लगातार पत्थर और बम इत्यादि से हमले कर रहे थे| हिन्दुओं के पास मुसलमानों के सामान हथियार नहीं थे क्यूंकि प्रदेश सरकार ने अपने चुनाव पूर्व वादे के हिसाब से मुस्लिम बस्तियों में कैम्प लगा कर 1 दिन में ही करीब 200 पिस्तौल के लाइसेंस बांटे थे और ये पहला वादा था जो अखिलेश सिंह यादव की सपा सरकार ने पूरा किया था फिर भी उपलब्ध हथियारों से बल्देव गंज के हिन्दू युवाओं ने इन मुस्लिम आतताइयों का सामना कर इनके हमलों का मुहतोड़ जवाब दिया| मुसलमानों के आक्रोशित और आतंकी जत्थे ने पूरी सब्जी मंडी, अनाज मंडी और अनेक बाजारों इत्यादि को जला कर राख कर दिया|

इस दंगे की सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन घटना स्थलों पर पहुँच तो गया पर एक निरीह मूकदर्शक बन खड़ा रहा बस| मुसलमानों के इस पथराव में कई हिन्दू भाई घायल हो गए| मुस्लमान जब बम और गोलिया चला रहे थे तब ये नहीं देख रहे थे की सामने वा���ा हिन्दू उनका परिचित है या मिलने वाला व्यक्ति है| मुसलमान केवल यह सोच कर हमला कर रहे थे की सामने वाला हिन्दू है और इनको जान से मार डालो| देखते ही देखते एक घंटे के अंतराल में नगर की सभी मस्जिदों से हिन्दुओं पर पथराव और बम इत्यादि फेंके जाने लगे| ऐसा लग रहा था की ये हिन्दुओं पर हमला पूर्व नियोजित था और मानो हिन्दुओं पर इस हमले की तैयारी बहुत समय से हो रही थी| ये ठीक वैसे ही था जैसे सुबह ८ बजे गोधरा में २००२ में हजारो लीटर पेट्रोल अचानक से आ गया था जबकि इतने सुबह गुजरात में पेट्रोल पम्प नहीं खुलते हैं| इसके अलावा उन आतताई मुसलमानों का जत्था जहाँ कही से भी निकलता था वहां की हिन्दुओं की चीजों को आग लगाते हुए निकलता था| यह देख नगर के हिन्दू भाई भयभीत हो गए और उन्होंने ने आस पास में ग्रामीण इलाके में रह रहे अपने जानने वालों को फ़ोन पर सुचना दी इन आतंकी मुसलमानों के कृत्य के बारे में की कैसे मुस्लमान विध्वंश और आगजनी कर रहे हैं नगर में| जिसे सुन ग्रामीण इलाके से करीब १०-१५ हजार लोग अपने हाथों में बन्दुक और अन्य हथियार ले कर थोड़ी देर में कोसीकलां पहुँच इन आतंकी मुसलमानों को खदेड़ा|

इस बिच में मुसलमानों ने हिन्दुओं के सैनी मोहल्ले पर हमला बोल दिया| मुसलमानों ने बमबारी से वहां की अनेक महिलाओं को बुरी तरह घायल कर दिया| अनेक मकानों को तहस-नहस कर दिया और उनके घरों को लूटा| अश्लीलता का नंगा नाच वहां भी दिखाया मुसलमानों ने| इसका विरोध करने वाले माली समाज के एक युवक सोनू को गोलियों से छलनी कर दिया इन मुसलमानों ने| सोनू की मौके पर ही ह्रदय विदारक चीखों के साथ मृत्यु हो गई| उन दंगाइयों के जाने के बाद पुलिस भी पर्याप्त बल के साथ वहां पहुँच गई| इसके साथ ही आर०आर०एफ़० और आर०ए०एफ़ की अनेक गाड़ियाँ कोसी में हो रहे दंगे को शांत करने के लिए पहुँच गईं| इस दौरान हमारे ग्रामीण भाइयों ने मुस्लिमो के करीब १ दर्जन दुकानों को आग के हवाले कर दिया| करीब सायं ८ बजे पुलिस ने आकर पुरे नगर में कर्फ्यू लगा दिया| लेकिन कर्फ्यू लगने के बाद भी मुस्लिमो का कहर बंद नहीं हुआ| अर्धरात्रि तक उनके इलाके से गोलियों की आवाजें सुने देती रहीं| 

इसके बाद 1 जून को दंगे वाले रात् को करीब ३ बजे कोसीकलां के मस्जिद से एक ऐलान सुनाई दिया की "सारे मुस्लिम तैयार रहें| अल्लाह तुम्हारे साथ है| ये तो बस एक शुरुवात भर है इंशा अल्लाह इस बार हम सभी मुसलमान मिल कर इन हिन्दुओं का सफाया कर देंगे| यह बड़े शबाब का काम है जो की अल्लाह ने तुमको दिया है| इन काफिरों को मरोगे तो अल्लाह तुम्हे जन्नत बख्सेगा|" यह ऐलान सुन सभी हिन्दू सहम गए और रात भर अपने छतों पर टहलते रहे| खौफ के साये में रात गुजारने के बाद दुसरे दिन नगर की हालत काफी बिगड़ी हुई दिखाई दे रही थी| हर तरफ मृत्यु का सन्नाटा पसरा हुआ था| चारो तरफ बस आगजनी और तबाही का ही मंजर था| मुस्लिम दंगाइयो ने चुन चुन कर ऐसे गोदामों में आग लगाई थी जो हिन्दुओं की थीं और करोडो का सामान रखा हुआ था उसमे| यदि पिछली शाम को ग्रामीण लोग नहीं आये होते नगरीय लोगो की रक्षा हेतु तो शायद नगरीय क्षेत्र हिन्दू विहीन हो चूका होता| ग्रामीण बंधुओं का नगरिय लोग दिल से आभार प्रकट करते हैं|

मथुरा जिले के एस०पी०, एस०एस०पी०, आइ०जी०, डी०आइ०जी० और डी०एम० ही नहीं बल्कि आगरा और अलीगढ के सभी हेड कांस्टेबल, एस०ओ०, एस०डी०एम०, पी०ए०सी०, आर०ए०एफ़, आर०आर०एफ़० ने पुरे कोसीकलां को अपने कब्जे में ले लिया| दंगे के दौरान ड्यूटी पर तैनात सभी प्रशासनिक अधिकारीयों के तबादले कर दिए गए और जो लोग उनकी जगह पर आये वो आज़म खान (शहरी विकास मंत्री), इमाम बुखारी (शाही इमाम दिल्ली जामा मस्जिद) और मौलाना युसूफ मदानी के खास अधिकारी थे| अब इन गुलाम अधिकारीयों के नेतृत्व में दंगे की जाँच शुरू होने लगी| प्रशासन पर दबाव इस कदर था की ये अधिकारी हिन्दुओं के घरों पर ही छापा मारने लगे| मुसलमानों के मात्र कह भर देने से ही हिन्दुओं की धरपकड़ शुरू हो गई| दंगे वाले दिन चाहे कोई हिन्दू कोसीकलां में हो या ना हो उन्हें आरोपी दिखाया जाने लगा| जिन हिन्दुओं का नुकसान हुआ वो भी पुलिस रिकॉर्ड में दंगाई दिखाए गए| अगले माह होने वाले नगर पालिका चुनाव में खड़े होने वाले सभी हिन्दू प्रत्याशियों को दंगाई दिखा कर उनके खिलाफ एफ़०आइ०आर तैयार कर दिया गया| आस-पास के देहात के सभी हिन्दू ग्राम प्रधानों एवं दबंग हिन्दुओं के खिलाफ भी एफ़०आइ०आर दर्ज की गई|
यह प्रथम दृष्टया ही साजिस लग रही थी प्रशासन और सरकार की हिन्दुओं की ताकतें कमजोर करने की और उनके हाथ काट देने की| नई महिला एस०एस०पी० एम० पदमजा, डी०एम० अलोक तिवारी और आइ०जी० मियां जावेद अख्तर ये तीनो पुलस अधिकारी हिन्दू विरोधी और मुस्लिम हितैषी हैं| हिन्दुओं के प्रति इनका व्यव्हार सौतेला रहा है| अब तक हिन्दुओं में से १४ गिरफ्तारियां हो चुकी हैं और गिरफ्तारियां आज भी बदस्तूर जारी हैं जो की रात के अँधेरे में 3 बजे तक में की जा रही हैं वो भी जबरन हिन्दू घरों में घुस कर| और अभी तक में २०० हिन्दुओं के खिलाफ एफ़०आइ०आर० दर्ज हो चूका है और इतना ही नहीं करीब २००० अज्ञात हिन्दू भाइयों को दंगाई दिखा उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज किया गया है| और दिखने के लिए आज़म खान (शहरी विकास मंत्री) के आगमन पर २-४ मुस्लिमों को पकड़ कर उनको राजसी ठाट-बाट के साथ जेल में रखा गया है ताकि ज्यादा हो-हल्ला ना हो|

गौरतलब हो की १ जून दंगे वाले दिन जब हिन्दू बंधुओं के घर और दुकाने जलाई जा रही थीं और हिन्दू महिलाओं के साथ अभद्र और नीच हरकते की जा रही थी और मुस्लिम नुकसान पहुचाते हुए आगे बढ़ रहे थे तब हिन्दुओं ने थाने पर खड़े आइ०जी० से मदद की गुहार लगाई की सब जल रहा है और जलते हुए घरों में हमारी महिलाएं हैं लेकिन आ०जी० के कानो को जैसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था और ना ही उसकी आँखों को कुछ दिखाई दे रहा था| पर जब ग्रामीण हिन्दू भाई अपने नगरीय हिन्दू भाइयों की मदद के लिए आगे बढे तब ग्रामीण हिन्दू भाइयों पर इसी आइ०जी० ने लाठी चार्ज कर उनको तितर बितर करने की कोशिस की| ऐसा ये आइ०जी० इसलिए कर रहा था क्युकी ये खुद भी मुस्लिम है और मुस्लिमों को मौका दे रहा था की तुम्हारे पास मौका है और मैं खड़ा हूँ तुम्हारी रक्षा को जितना नुकसान पहुँचा सकते हो इन हिन्दुओं को उतना नुकसान जल्दी से पहुँचा लो|

दंगे के ४-५ दिन बाद डी०एम० से शांति बहाली के लिए कोसीकलां के व्यापारियों ने गुहार लगाई तो डी०एम० का कहना था कि, "मेरा काम है नगर में शांति व्यवस्था बनाये रखना| यह मेरा काम नहीं है कि आप हिन्दू और मुसलमान आपस में राजीनामा करते हैं ये नहीं| वह आप लोगों का काम है| आप लोग बाजार खोलो या ना खोलो इससे मेरा कोई सरोकार नहीं है| तुम्हारे ऐसा करने से मेरी कोई तनख्वाह नहीं कट रही है| अगर मुझे कोई उपद्रव करते मिल गया तो मैं पहले उसे समझाऊंगा| यदि वो नहीं माना तो उसे डंडों से समझाऊंगा और अगर तब भी नहीं समझा तो उसको मैं गोली से उड़ा दूंगा| "नगर व्यापारियों ने प्रशासन के इस रवैये से क्षुब्ध हो कर कोसीकलां में बाज़ार ना खोलने का निश्चय किया| १ जून शाम से आज तक बाज़ार नहीं खुला है कोसीकलां में| और सड़कों पर केवल सुरक्षा बल के जवान घूमते हुए दिखाई देते हैं| हम हिन्दुओं के घरों में राशन इत्यादि जमा होता है| पर मुसलमान जाती ऐसी होती है कि वो रोज कमाते हैं और रोज राशन खरीद कर खाते हैं| हिन्दुओं का अनुमान था कि हमारे बाजार ना खोलने से मुसलमानों के हौसले पस्त हो जायेंगे और वो राजीनामा को मजबूर हो जायेंगे| लेकिन हिन्दुओं का अनुमान गलत साबित हुआ| जैसे ही कर्फ्यू में ढील हुई या सोच समझ कर ढील दी गई मुसलमानों ने अपने औरतों और बच्चों को अपने रिश्तेदारों के यहाँ भेज दिया| अब नगर में उग्रवादी, कट्टरवादी और दंगाई किस्म के मुस्लिम रह गए हैं जो कि संख्या में बहुत अधिक हैं| 

दंगो के तीसरे दिन से दिल्ली के जामा मस्जिद कि तरफ से ट्रक भर कर राशन, सब्जियां, फल इत्यादि आने शुरू हो गए और गौर करने वाली बात है कि प्रशासन ने इसके लिए कोई रोक-टोक नहीं कि यहाँ तक कि इन ट्रकों को जांचने का कार्य भी नहीं किया गया| बल्कि इसके इतर प्रशासन ने मुस्लिम बस्तियों में टैंकर भर कर पानी भिजवाना शुरू कर दिया और हिन्दू मोहल्लों में पानी कि सप्प्लाई पर रोक लगा दिया गया| हिन्दुओं में इस बात का काफी रोष व्याप्त हो गया क्यूंकि हिन्दुओं के घरों में पानी कि किल्लत और एक वर्ग विशेष को इतनी सुविधा वो भी प्रशासन के तरफ से हिन्दुओं के तरफ से हिन्दुओं और मुसलमानों में सुलह के लिए आज तक ४ कोशिशें कि जा चुकी हैं| लेकिन अफ़सोस कि तीनो बार मुसलमानों ने इन राजीनामे से मना कर दिया| यही नहीं पूरा मेवात क्षेत्र जहाँ करीब १८ लाख मेव-मुस्लिम रहते हैं उन्होंने मुस्लिमो कि हर तरह कि सहायता करने का खुल्ला ऐलान कर दिया| इसमें हरियाणा के नूंह, पुन्हाना आदि मेवात क्षेत्र काफी सक्रिय हैं|

वहीँ चौथे दौर कि संधि प्रयास में कोसीकलां के कांग्रेस समर्थित आर एल डी के सेकुलर विधायक ठाकुर तेजपाल सिंह ने एक बैठक कि जिसका मुख्या मुद्दा था शांति बहाल करना पर इन्होने जो किया वो हिंदुत्व को शर्मसार करने वाला था| ये विधायक महोदय मुसलमानों के इतने अत्याचार के बावजूद हिन्दुओं को ही भाई चारे का पाठ पढ़ा रहे थे| शायद इन विधायक महोदय को अपनी कुर्सी बचाने की ज्यादा चिंता थी| पर कोसीकलां के हमारे हिन्दू भाइयों ने इन्हें टका सा जवाब दे दिया की हमें नहीं चाहिए शांति और हम अब अपने तरीके से निपट लेंगे इन अधर्मी मुसलमानों से आप विधायक महोदय अपने मुस्लमान भाइयों के साथ मस्ती करो|
यह सर्वविदित है कि उत्तर प्रदेश कि सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी सरकार जिसके मुखिया मुलायम सिंह यादव हैं वह हिन्दू विरोधी और मुसलमान परस्त पार्टी है| उसने इस बार उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार बनाने के चक्कर में मुसलमानों को अपने मंत्रिमंडल में बड़े तौर पर तरजीह दी है। आज़म खान जो कि शहरी विकास मंत्री है वो कट्टरवादी मुस्लिम है, वह कोसीकलां आया और उसने केवल मुसलमानों के हित कि ही बातें करीं| कोसीकलां के मुसलमानों को उसने न्याय दिलाने और प्रशासन से सहायता दिलाने का पूरा भरोसा दिया| आज़म खान ने हिन्दुओं को भी सब कुछ ठीक करने का वादा किया पर उसके चेहरे से साफ़ झलक रहा था कि जो भी वादा आज़म खान कर रहा था हिन्दुओं से वो केवल उपरी मन से था| दरअसल आज़म खान ने पर्दे के पीछे मुसलमानों कि पीठ थपथपाई और उनको अभयदान दिया|

आज़म खान के जाने के बाद उसी रात कोसीकलां के रिहाइशी इलाके आर्यनगर के एक बनिया व्यावसायी के घर और उसके निचे बनी दुकान को किसी मुसलमान ने जला दिया जिस वजह से उस व्यावसायी को लाखों का नुकसान हुआ| सुबह पुलिस आई और जबरदस्ती उस पीड़ित व्यावसायी परिवार से लिखवा कर ले गई कि ये आग शार्ट-सर्किट के चलते लगी थी| इस घटना कि दूसरी रात को फिर किसी मुसलमान ने एक और बनिया व्यावसायी के बाईपास स्थित दोना-पत्तल, मुन्जवान, रस्सी और झाड़ू के गोदाम को आग के हवाले कर दिया| इस बार भी पुलिस सुबह ही आई और पुलिस ने उस व्यापारी पर प्रशासनिक दबाव देकर लिखवा लिया कि ये आग भी शार्ट-सर्किट के चलते लगी है| जबकि सत्यता यह थी कि इस गोदाम में ना तो कोई बिजली के तार कि फिटिंग थी और ना ही कोई बिजली का कनेक्सन था| नगर के हिन्दुओं में रोष चरम पर है पर परेशानी ये है कि अगर विरोध प्रदर्शन किया तो जैसे प्रशासन बराबर धमकी दे रहा है कि हिन्दुओं पर रासुका लगा जेल में डाल दिया जायेगा|

मुस्लिमों के जुल्म कि इन्तेहाँ तब हो गई जब उन्होंने अपने इलाके में कर्फ्यू लगा होने के बावजूद हमारी गौमाता कि हत्या कर कूड़े के ढेर में फेंक दिया| यह एक करारा तमाचा था हम हिन्दुओं के मुँह पर और चेतावनी थी यह मुसलमानों कि तरफ से कि देख लो कितना भी कर्फ्यू हो पर हम तो ऐसा ही करेंगे| और तुम हिन्दू अगर रोक सकते हो तो रोक कर दिखा दो| इस बार भी पुलिस बहुत देर से पहुंची और बिना छानबीन किये कि ये गाय आई कहाँ से और किसने इसे मारा पुलिस ने गाय का पोस्टमार्टम करा गौमाता को धरती में गडवा दिया| और इतना पर ही नहीं रुके पुलिस वाले उन्होंने वहां उपस्थित पत्रकारों को ये धमकी दी कि ये किसी भी न्यूज़ में नहीं छापना चाहिए कि मुसलमानों के इलाके में गाय का शव मिला है|

कोसीकलां में भाजपा के राजनाथ सिंह जी भी आये| उनको कोसीकलां में प्रवेश नहीं दिया गया| भारी मात्र में पुलिस बल आ गया राजनाथ सिंह जी को रोकने के लिए| कोसीकलां के बाईपास पर ही स्थित एक ढाबे पर रुक कर नगर के पीड़ितों का दर्द सुन कर वो भी अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकते हुए दिखाई दिए| राजनाथ सिंह जी ने कहा कि, "मैं अखिलेश यादव से बात करूँगा कि वो हिन्दुओं के प्रति इतने रूखे क्यों हैं? यह एक तरफ़ा कार्यवाही क्यों कर रहे हैं वो? पूरी भाजपा आपके साथ है| हम जल्दी ही दिल्ली में हिन्दुओं के ऊपर हो रहे इस अत्याचार के विरोध में धरना प्रदर्शन करेंगे| हम कोसीकलां वासियों कि आवाज ऊपर तक पहुचाएंगे| आप लोग घबराये नहीं|" और भी कई बाते इन्होने बोलीं पर कोसीकलां वाशियों को जो राजनाथ सिंह जी और भाजपा से जो आशा थी वो धूमिल होती प्रतीत हुईं|

१३ जून को मुसलमान बस्तियों से यह सूचना आई कि आज हिन्दुओं कि तेरहवीं तो हमने हिन्दुओं कि गौमाता कि हत्या करके कर दी अब इनको दिखाना है कि इनका चालीसवां कैसा होता है| इन मुट्ठी भर मुसलमानों के इतने उछालने का कारन एक ही है कि हम हिन्दुओं का हाथ इस प्रशासन ने काट दिया है और मुसलमानों ने अपनी ताकत इन तेरह दिनों में अच्छे से बढ़ा लिया| क्यूंकि जिन ट्रको में उनके लिए दिल्ली के जामा मस्जिद से खाने पिने का सामान आ रहा है और यहाँ का प्रशासन बिना किसी रोकटोक के उसे मुस्लिम क्षेत्र तक जाने दे रहा है उन ट्रकों में खाने-पिने के सामानों में छुपा कर घटक और स्वचालित हथियार भेजे जा रहे हैं| (ज्ञात हो कि इमाम बनाने के समय और उसके पहले से दिल्ली जामा मस्जिद के मौजूदा इमाम बुखारी बोलते आये हैं कि मुसलमानों कि एक सशत्र सेना बनाने कि और यहाँ तक कि बुखारी ने मुस्लिम लीग के तौर पर अपनी एक मुस्लिम पार्टी बनाने के लिए साल २००० में कश्मीर के अलगाववादी नेता गिलानी से भी मुलाक़ात की थी)| और इन खाना पीना लादे ट्रकों का प्रवेश आजभी बदस्तूर जारी है कोसीकलां के मुस्लिम बहुल इलाके में| अब इतने ही दिनों में मुसलमान हिन्दुवों ओ खुली चेतावनी दे रहा है कि अब चाहे पूरा देहात आ जाये हम हिन्दुओं का मुकाबला कम से कम पुरे दो महीने तक मुकाबला कर सकते हैं| आखिर २ महीने तक लगातार हिन्दुओं से मुकाबला करने कि बात ये मुसलमान अचानक से कैसे करने लगे|

१६ जून को पूर्व निश्चित समझौता सभा में मुसलमान नहीं आये| उनका कहना था कि बाज़ार खोलना हिन्दुओं कि मज़बूरी है उनकी नहीं| हमको तो खाना अल्लाह अपने घर मस्जिदों से दे रहा है| तुम हिन्दुओं कि गर्ज है तभी तो हम मुस्लिमों से राजीनामा करना चाहते हो| बाज़ार ना खोलने से हिन्दू बेहाल होगा ना कि मुसलमान क्यूँकी मुसलमानों के घर खाने पिने कि सामानों से भरा हुआ है| विदित हो कि गत दो माह पूर्व विधानसभा चुनाव होने के बाद कोसीकलां में मुसलमानों कि बस्ती निकासे में तत्कालीन डी०एम० ने स्वयं उपस्थित रह कर और मुस्लिम बस्ती में शिविर लगा कर पुरे २०० पितौलों के लाइसेंस मुस्लिमों को हाँथो-हाँथ आबंटित किये गए| जबकि कानून किसी भी शास्त्र का लाइसेंस बनवाने कि प्रक्रिया में करीब ३ माह से भी अधिक का समय लग जाता है| लेकिन इन मुसलमानों के लिए यह कार्य एक दिन में ही कर दिया गया| और ये कार्य तो एक जगह किया गया जो हमें पता चला हो सकता है ऐसा कार्य उत्तर प्रदेश के हर मुस्लिम इलाके में चोरी छिपे किया गया हो और इसके बारे में किसी को पता ना चला हो| वैसे कोसीकलां के हिन्दुओं ने भी अपनी सुरक्षा हेतु शास्त्रों के लाइसेंस आवंटित किये जाने कि मांग कि जिसे प्रशासन ने ठन्डे बसते या कहें तो कूड़े दान में डाल दिया| शतप्रतिशत मुसलमानों पर इस मेहरबानी के पीछे केवल राजनैतिक समीकरण है|

दिनांक १६ जून से कोसीकलां नगर से सभी लाइसेंस बन्दुकधारि हिन्दुओं से पुलिस उनके हथियार थाने में जमा करने में जीजान से जुट गई है| पर वहीँ दूसरी तरफ मुसलमानों से उनके वैध या अवैध हथियारों को पुलिस जब्त नहीं कर रही है| प्रशासन के इस एक तरफ़ा रवैये को लेकर हिन्दुओं में एक खौफ के साथ-साथ गहरी साजिस का भी अंदेशा हो रहा है जिस कारन हिन्दू बंधुओं में रोष व्याप्त है|

आज मुसलमान हम हिन्दुओं के सर पर नाच रहे हैं| हम हिन्दू यहाँ अपने ही श्री कृष्ण कि नगरी में ऐसे रह रहे हैं जैसे दांतों के बिच हमारी जिह्वा| हमारे इस हँसते खेलते वातावरण और घरौंदों को इन मुसलमानों ने ऐसा बना दिया है जैसे कि हम किसी खंडहर में रह रहे हों| अपने ही नगर और मोहल्ले में हमें ऐसे कैद किया गया है जैसे कि हम जेल में रह रहे हों| सरकार और प्रशासन दोनों ही हम हिन्दुओं के खिलाफ ही कार्यवाही करने को व्याकुल और अति-आतुर हैं| सरकारी और प्रशासनिक दबाव के चलते कोसीकलां के इस भीषण महासंग्राम और खुलेआम जलते घरौंदों को किसी भी टी०वि० चैनल पर नहीं दिखाया जा रहा है और ना ही किसी समाचार पत्र में इसको कोई स्थान मिल रहा है| यही नहीं किसी भी हिंदूवादी नेता को नगर में प्रवेश करने से रोका जा रहा है और उनको प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है| वैसे तो हिन्दू-मुस्लिम के दंगे आये समय में होते रहे हैं उत्तर प्रदेश में, जैसे १९८० में हुवा मोरादाबाद का दंगा जिसने करीब २००० लोगों कि प्राणों कि आहुति ले लिया था और उसमे भी कुछ नहीं किया गया था क्युकी तब केंद्र और प्रदेश में कांग्रेस कि सरकार थी| पर कोसीकलां में १ जून से चल रहे इस दंगे ने गुजरात (गोधरा-२००२) में हुए दंगे कि याद दिला दिया कि १० सालों बाद आज भी मीडिया और मोदी जी के विरोधी कैसे उस दंगे को आये दिन उछालने कि कोशिस करते हैं पर वहीँ भारत देश के बाकि के दुसरे भागों में हुए दंगो जो गुजरात के तर्ज पर ही मुसलमानों ने ही शुरुवात किये उसे बड़े जतन से छिपाया जाता है ताकि किसी को सच्चाई का पता ना चले| जैसे हाल ही में हुहे रामनवमी के बाद हेदराबाद के मंदिरों में गाए और हरा रंग फेके जाने के महा अपराधों को छुपाया गया. हेदराबाद के ही मंज्लिश पार्टी के लीडर अकबरुदीन ओबीसी द्वारा दिया गया फतवा चारमिनार स्थित महालक्ष्मी मंदिर में घंटिया बजवाने पर प्रतिबंद जैसे फतवे.

इसे कहते हैं हिन्दू विरोधी और मुस्लिम परस्ती|